Former PM Sheikh Hasina
Sheikh Hasina Extradition: नई दिल्ली। बांग्लादेशी न्यायाधिकरण द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को दोषी ठहराए जाने और अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस द्वारा उनके प्रत्यर्पण की मांग के बावजूद भारत के इस कदम को मंजूरी देने की संभावना बेहद कम है। भारत हमेशा से अपने रणनीतिक सहयोगियों के हितों की रक्षा करता आया है, और इसी नीति के तहत दिसंबर 2024 से चली आ रही मांगों के बावजूद हसीना को भारत ने सुरक्षित रखा हुआ है।
Sheikh Hasina Extradition: न्यायाधिकरण का फैसला भी विवादों में है, क्योंकि शेख हसीना को अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया गया। संयुक्त राष्ट्र समेत कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। यही आधार भारत के लिए प्रत्यर्पण न करने की मजबूत कानूनी वजह बनता है। 2013 की भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि में स्पष्ट है कि यदि किसी मामले में निष्पक्ष सुनवाई पर संदेह हो या राजनीतिक उद्देश्य नजर आए, तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है।
Sheikh Hasina Extradition: यदि भारत हसीना को सौंपने से इनकार करता है, तो कूटनीतिक तनाव बढ़ सकता है, हालांकि दोनों देशों के संबंध टूटने की संभावना कम है। बांग्लादेश के चीन और पाकिस्तान के नजदीक आने की आशंका जरूर बढ़ सकती है, जिसका क्षेत्रीय सुरक्षा पर असर पड़ेगा।
Sheikh Hasina Extradition: शेख हसीना के पास अब दो रास्ते हैं कानूनी और राजनीतिक। वह बांग्लादेश के उच्च न्यायालय में फैसले को चुनौती दे सकती हैं या अंतरराष्ट्रीय मंचों से निष्पक्ष सुनवाई का दबाव बनवा सकती हैं। राजनीतिक रूप से, वह भारत या किसी अन्य देश में स्थायी शरण की मांग भी कर सकती हैं। शेख हसीना को यह सजा 2024 के आरक्षण विरोधी छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में 400 से ज्यादा मौतों के आरोप में दी गई है, जिसे अदालत ने उनकी जिम्मेदारी माना है।
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