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इस सप्ताह भारतीय शेयर बाजार में तेज गिरावट देखने को मिली है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिकवाली और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती को लेकर सतर्क रुख के कारण भारतीय बेंचमार्क सूचकांकों में लगभग 5 प्रतिशत की गिरावट आई। इस गिरावट ने निवेशकों को बड़ा झटका दिया है, हालांकि विशेषज्ञ इसे बैलेंस्ड निवेश रणनीति अपनाने का एक अच्छा मौका मान रहे हैं।
शेयर बाजार की मौजूदा स्थिति
इस सप्ताह तीन कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स में 1,000 से अधिक अंकों की गिरावट आई। शुक्रवार को सेंसेक्स 1,176.46 अंक गिरकर 78,041.59 पर बंद हुआ, वहीं निफ्टी 364.20 अंक गिरकर 23,587.50 पर बंद हुआ। निफ्टी बैंक 816.50 अंक की गिरावट के साथ 50,759.20 पर और निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 1,649.50 अंक गिरकर 56,906.75 पर बंद हुआ।
प्रमुख कारण
विश्लेषकों के अनुसार, इस गिरावट के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
- अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियां: फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती को लेकर सतर्कता ने वैश्विक बाजारों पर दबाव डाला।
- विदेशी निवेशकों की बिकवाली: विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा बिकवाली ने बाजार की स्थिति को कमजोर किया।
- वैश्विक बिकवाली: अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बिकवाली के प्रभाव ने भारतीय शेयर बाजार को भी प्रभावित किया।
- लार्ज कैप पर फोकस: लार्ज कैप कंपनियां स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करती हैं, खासकर बाजार में गिरावट के दौरान।
- डाइवर्सिफिकेशन: निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में विविधता लानी चाहिए, ताकि किसी एक सेक्टर पर निर्भरता कम हो।
- जोखिम प्रबंधन: अस्थिर बाजार में निवेश करते समय जोखिम प्रबंधन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
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