
SCO Summit 2025
SCO Summit 2025: तियानजिन: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के 31वें शिखर सम्मेलन में तियानजिन, चीन में एक ऐतिहासिक तस्वीर सामने आई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक मंच पर साथ नजर आए। इस तस्वीर को वैश्विक मंच पर शक्ति और एकता का प्रतीक माना जा रहा है, खासकर तब जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों ने भारत और चीन को नए रणनीतिक गठजोड़ की ओर प्रेरित किया है। इस समिट पर अमेरिका की पैनी नजर बनी हुई है, क्योंकि भारत ने रूसी तेल खरीद पर ट्रंप की आपत्तियों को सिरे से खारिज कर दिया है।
SCO Summit 2025: SCO समिट में भव्य स्वागत
तियानजिन में आयोजित SCO समिट में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनकी पत्नी पेंग लियुआन ने पीएम मोदी सहित सभी सदस्य देशों के नेताओं का गर्मजोशी से स्वागत किया। समिट के दौरान एक फोटो सत्र आयोजित हुआ, जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, बेलारूस और अन्य SCO सदस्य देशों के नेता शामिल हुए। यह तस्वीर वैश्विक कूटनीति में एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में देखी जा रही है, जो SCO की बढ़ती ताकत और वैश्विक प्रभाव को दर्शाती है।
SCO Summit 2025: मोदी-जिनपिंग मुलाकात: भारत-चीन संबंधों में नया अध्याय
समिट से इतर, पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच करीब एक घंटे की द्विपक्षीय वार्ता हुई, जिसमें सीमा पर शांति, व्यापार सहयोग, और लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने पर चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने अक्टूबर 2024 में रूस के कजान में हुई अपनी पिछली मुलाकात के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में आए सकारात्मक बदलावों की सराहना की। पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि भारत और चीन के रिश्तों को किसी तीसरे देश (अमेरिका) के दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “हमारी रणनीतिक स्वायत्तता हमें परिभाषित करती है। भारत और चीन विकास के साझेदार हैं, न कि प्रतिद्वंद्वी।”
SCO Summit 2025: सीमा पर शांति और व्यापार पर जोर
मोदी और जिनपिंग ने सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति के लिए अनिवार्य बताया। 2020 की गलवान झड़प के बाद तनावग्रस्त रहे संबंधों में हाल के डिसएंगेजमेंट समझौतों से सुधार हुआ है, जिस पर दोनों नेताओं ने संतोष जताया। उन्होंने सीमा विवाद के लिए न्यायसंगत और स्वीकार्य समाधान की प्रतिबद्धता दोहराई। इसके अलावा, व्यापार घाटा कम करने, निवेश बढ़ाने, सीधी उड़ानें शुरू करने, वीजा सुविधाएं आसान करने, और कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली पर भी सहमति बनी।
SCO Summit 2025: ट्रंप के टैरिफ पर भारत का कड़ा रुख
SCO समिट का महत्व इसलिए भी बढ़ गया है क्योंकि अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर 50% टैरिफ लागू किया है, जिसमें 25% ‘दंडात्मक’ टैरिफ शामिल है। ट्रंप ने दावा किया था कि भारत सस्ते रूसी तेल से मुनाफा कमा रहा है, जो रूस की युद्ध मशीन को बढ़ावा देता है। जवाब में भारत ने स्पष्ट किया कि उसकी तेल खरीद वैश्विक बाजार की परिस्थितियों पर आधारित है और इसने वैश्विक तेल कीमतों को स्थिर रखने में योगदान दिया है। पीएम मोदी ने कहा, “हम अपनी ऊर्जा जरूरतों और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हैं और रूसी तेल खरीदना जारी रखेंगे।”
SCO Summit 2025: वैश्विक मंच पर भारत-चीन-रूस की ताकत
जानकारों का मानना है कि यह समिट वैश्विक व्यवस्था में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। भारत, चीन और रूस की यह एकजुटता ट्रंप की टैरिफ नीतियों को चुनौती दे सकती है। हालांकि, भारत और चीन के बीच कुछ कोर मुद्दे जैसे चीन का पाकिस्तान को समर्थन और सीमा विवाद अभी भी अनसुलझे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इन मुद्दों पर प्रगति होती है, तो यह भारत-चीन संबंधों के लिए एक बड़ा कदम होगा।
SCO Summit 2025: एक नया वैश्विक गठजोड़
SCO समिट में भारत, चीन और रूस की एकता ने वैश्विक शक्ति संतुलन को फिर से परिभाषित करने की संभावना को मजबूत किया है। ट्रंप की अनुपस्थिति के बावजूद, उनकी नीतियां इस समिट में चर्चा का केंद्र रहीं। भारत ने अपनी रणनीतिक स्वायत्तता और वैश्विक स्थिरता में योगदान को रेखांकित करते हुए साफ किया कि वह किसी भी दबाव में नहीं झुकेगा। यह समिट और मोदी-जिनपिंग-पुतिन की तस्वीर न केवल एक कूटनीतिक उपलब्धि है, बल्कि एक बहु-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था की ओर बढ़ता कदम भी है।