
Scientists claim: क्या रेगिस्तान फिर से हरे-भरे जंगल बन सकते हैं?...क्या विज्ञान कर सकता है कमाल?
Scientists claim : दुनियाभर में छोटे-बड़े मिलाकर 100 से ज्यादा रेगिस्तान हैं, और इनमें से 14 भारत में स्थित हैं। इन रेगिस्तानों का दायरा हर साल बढ़ता जा रहा है, जो पर्यावरण और जीवन के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि सही प्रयास किए जाएं, तो इन सूखे रेगिस्तानों को एक बार फिर से हरा-भरा और रहने लायक बनाया जा सकता है।
सहारा: हरे-भरे मैदान से रेगिस्तान तक का सफर
सहारा रेगिस्तान, जो आज रेत के विशाल समुद्र के रूप में जाना जाता है, एक समय हरे-भरे मैदान और घने जंगलों का घर था। लेकिन ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण यह इलाका धीरे-धीरे सूखा और बंजर हो गया। नेवादा रेगिस्तान शोध संस्थान के इकोलॉजिस्ट लिन फेनस्टरमेकर के अनुसार, जहां सालभर में 10 इंच से कम बारिश होती है, उसे रेगिस्तान माना जाता है।
रेगिस्तानों का निर्माण: विज्ञान की नजर से
वैज्ञानिकों के अनुसार, रेगिस्तान बनने की प्रक्रिया में ग्लोबल एयर सर्कुलेशन पैटर्न का बड़ा हाथ होता है। भूमध्य रेखा पर सूर्य की सीधी किरणें हवा को गर्म कर देती हैं, जिससे नमी खत्म हो जाती है। यह प्रक्रिया अक्सर 30 डिग्री लैटीट्यूड के आसपास के क्षेत्रों में होती है, जहां धीरे-धीरे रेगिस्तान का निर्माण होता है।
Scientists claim : कैसे बदलेगा रेगिस्तान का स्वरूप?
वैज्ञानिकों का कहना है कि आधुनिक तकनीकों और योजनाबद्ध प्रयासों से रेगिस्तान को हरा-भरा बनाया जा सकता है।
- सिंचाई और जल प्रबंधन:
- बड़े पैमाने पर सिंचाई योजनाओं और जल संसाधनों के प्रबंधन से नमी को बनाए रखा जा सकता है।
- इको-सिस्टम की स्टडी:
- रेगिस्तानों के पारिस्थितिकी तंत्र को समझकर उनका पुनर्निर्माण किया जा सकता है।
- सोलर एनर्जी और तकनीक का उपयोग:
- सौर ऊर्जा और अन्य आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करके रेगिस्तानों को हरियाली में बदला जा सकता है।
- सौर ऊर्जा और अन्य आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करके रेगिस्तानों को हरियाली में बदला जा सकता है।
Scientists claim : भविष्य की संभावनाएं
यदि लोग और सरकारें मिलकर प्रयास करें, तो रेगिस्तान का विस्तार रोका जा सकता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि सही दिशा में काम करने से यह सपना साकार हो सकता है, और आज के रेगिस्तान भविष्य में ग्रीनलैंड बन सकते हैं।
वैज्ञानिकों की इस नई सोच ने यह साबित कर दिया है कि विज्ञान और तकनीक के सहारे कुछ भी असंभव नहीं है। यदि ठोस कदम उठाए जाएं, तो न केवल रेगिस्तान का विस्तार रोका जा सकता है, बल्कि उन्हें हरियाली में बदला भी जा सकता है।