Sambhal Violence Update संभल में बवाल के बाद इंटरनेट सेवाएं बंद, जानें कैसे लिया जाता है यह निर्णय
Sambhal Violence Update : संभल : सभल में हाल ही में हुई हिंसक घटनाओं के बाद प्रशासन ने इंटरनेट सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। ऐसे निर्णय सार्वजनिक सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए लिए जाते हैं। आइए समझते हैं कि भारत में इंटरनेट बंद करने की प्रक्रिया कैसे होती है और इसके लिए कौन आदेश जारी करता है।
इंटरनेट बंद करने की प्रक्रिया:
- कानूनी आधार: भारत में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने के लिए मुख्यतः ‘भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885’ की धारा 5(2) का उपयोग किया जाता है। इसके तहत, सार्वजनिक आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा के मामलों में सरकार को टेलीग्राफ सेवाओं (जिसमें इंटरनेट भी शामिल है) को निलंबित करने का अधिकार है।
- अधिकार प्राप्त अधिकारी: साल 2017 में सरकार ने ‘टेम्परेरी सस्पेंशन ऑफ टेलीकॉम सर्विसेज (पब्लिक इमरजेंसी या पब्लिक सेफ्टी) रूल्स’ जारी किए। इन नियमों के अनुसार, इंटरनेट बंद करने का आदेश केवल केंद्र या राज्य सरकार के गृह सचिव या उनके द्वारा अधिकृत अधिकारी ही जारी कर सकते हैं।
- आदेश की प्रक्रिया: गृह सचिव द्वारा जारी आदेश संबंधित टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं को भेजा जाता है, जो निर्धारित क्षेत्र में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करते हैं। यह आदेश अधिकतम 15 दिनों के लिए हो सकता है और इसकी समीक्षा नियमित रूप से की जानी चाहिए।
- आपातकालीन स्थिति: आपातकालीन परिस्थितियों में, गृह सचिव द्वारा अधिकृत संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी भी इंटरनेट बंद करने का आदेश जारी कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए उन्हें 24 घंटे के भीतर गृह सचिव से अनुमोदन लेना आवश्यक होता है।
निष्कर्ष:
भारत में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने की प्रक्रिया कानूनी प्रावधानों और निर्धारित नियमों के तहत संचालित होती है। सार्वजनिक सुरक्षा और शांति बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया जाता है, लेकिन इसके लिए पारदर्शिता और उचित प्रक्रिया का पालन आवश्यक है।
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