Russian Oil
Russian Oil: नई दिल्ली: रूस से कच्चे तेल का भारत में आयात नवंबर में 4% बढ़कर 2.6 अरब यूरो पर पहुंच गया, जो पिछले पांच महीनों का उच्चतम स्तर है। यह जानकारी यूरोपीय थिंक-टैंक सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की ताज़ा रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत रूस से आयातित तेल का बड़ा हिस्सा अपनी रिफाइनरियों में प्रसंस्करण कर ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों को ईंधन के रूप में निर्यात कर रहा है।
Russian Oil: नवंबर में भारत चीन के बाद रूसी जीवाश्म ईंधन का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बना रहा। चीन ने जहां 47% तेल खरीदा, वहीं भारत की हिस्सेदारी 38% रही। विशेषज्ञों का अनुमान है कि दिसंबर में यह आयात और बढ़ सकता है, क्योंकि अमेरिकी प्रतिबंधों के लागू होने से पहले लोड किए गए तेल की डिलीवरी जारी है। अमेरिका ने 22 अक्टूबर को रूसी कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर कड़े प्रतिबंध लगाए थे।
Russian Oil: प्रतिबंधों का सबसे अधिक असर भारत की निजी रिफाइनरियों रिलायंस, एचपीसीएल, एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी और एमआरपीएल पर पड़ा है, जिन्होंने आयात रोक दिया। हालांकि, इंडियन ऑयल (IOC) जैसी सरकारी कंपनियां प्रतिबंधित स्रोतों से भी तेल खरीद जारी रखे हुए हैं। CREA के अनुसार, जहां निजी रिफाइनरियों के आयात में कमी आई, वहीं सरकारी रिफाइनरियों ने नवंबर में रूसी तेल की खरीद 22% बढ़ा दी।
यूक्रेन युद्ध के बाद कम कीमत पर उपलब्ध रूसी कच्चे तेल ने भारत को उसका सबसे बड़ा खरीदार बना दिया है। भारत के कुल तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी 1% से बढ़कर लगभग 40% हो गई है।
Russian Oil: रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारत और तुर्की की छह रिफाइनरियों ने नवंबर में 807 मिलियन यूरो मूल्य के परिष्कृत ईंधन उत्पाद यूरोपीय संघ, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा को निर्यात किए, जिनमें से 301 मिलियन यूरो के उत्पाद रूसी तेल से तैयार थे। नवंबर में जहां प्रतिबंध लगाने वाले देशों को निर्यात में 8% गिरावट हुई, वहीं ऑस्ट्रेलिया को भेजे गए ईंधन निर्यात में 69% की भारी वृद्धि दर्ज की गई।
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