
खरगोशी बुखार : जानिए क्या है ये रैबिट फीवर
नई दिल्ली। Rabbit Fever : चीन HMPV वायरस से हांफ रहा है, तो वहीं अमेरिका रैबिट फीवर से हलाकान हो रहा है। दोनों ही देशों में आपातकाल जैसी स्थिति बनी हुई है। अब तो इन बीमारियों के मामले देश के बाहर भी नजर आने लगे हैं। दूसरी ओर अमेरिका में टुलारेमिया के मामलों जोर पकड़ रखा है। क्यों नहीं समझे न ? अरे भाई ….. हम बात कर रहे हैं एक बेहद ही दुर्लभ बीमारी ‘रैबिट फीवर’ की।
Rabbit Fever : जानिए क्या है ये रैबिट फीवर
असल में Centers for Disease Control and Prevention of America (सीडीसी) ने हाल ही में एक रिपोर्ट पेश की, जिसमें बताया गया है कि पिछले 10 सालों में अमेरिका में रैबिट फीवर (टुलारेमिया) के मामलों में काफी अधिक बढ़ोतरी हुई है। रैबिट फीवर एक ऐसी संक्रामक बीमारी है, जो बैक्टीरिया फ्रांसीसेल्ला टुलारेन्सिस के चलते होती है। अब रैबिट फीवर को लेकर सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि ये किस तरह से फैलता है ?
Rabbit Fever : आख़िर फैलता कैसे है जानें ?
साइंस अलर्ट की रिपोर्ट के अनुसार , इंसानों में ये बीमारी अलग -अलग तरीकों से फैलती है. इसमें संक्रमित टिक, डियर मक्खी के काटने और संक्रमित जानवरों, जैसे खरगोश और चूहे के साथ सीधे त्वचा के संपर्क में आने से ये मर्ज़ होता है। यही नहीं कभी- कभी संक्रमित जानवरों के घोंसलों पर भी इसका बैक्टीरिया होता है, जो घास फूस में भी चले जाते हैं। इसके कारण अनजाने में घास काटने वाले व्यक्ति को भी संक्रमित कर सकते हैं। रैबिट फीवर के मामले ज्यादातर 5 से 9 वर्ष की आयु के बच्चे, 65 से 84 वर्ष की आयु के लोग और मध्य अमेरिकी राज्यों में रहने वाले व्यक्ति शामिल हैं।
घास काटने से कब हुआ था संक्रमण ?
इसके संक्रमण का यह मोड पहली बार साल 2000 में मैसाचुसेट्स वाइनयार्ड में देखा गया था, जहां रैबिट फीवर का प्रकोप छह महीने तक जारी रहा. जिसके कारण 15 संक्रमण के मामले सामने आए थे. इसमें एक व्यक्ति की मृत्यु भी हो गई थी। तो वहीं साल 2014-2015 के दौरान कोलोराडो में दर्ज किये गए कई केसेज में से कम से कम एक मामला भी लॉन की घास काटने से ही जुड़ा था।
सीडीसी इन मामलों की बारीकी से निगहबानी कर रहा है क्योंकि चिकित्सा के बिना ये जानलेवा हो सकता है। सीडीसी की रिपोर्ट्स के अनुसार, रैबिट फीवर के केसों में मरने वालों की दर आम तौर पर दो फीसदी से कम होती है, जब कि, जीवाणु तनाव के बेस पर ज्यादा भी हो सकती हैं।
47 राज्यों में 2 हज़ार 462 मामले
अमेरिका में इसके केसेज के बारें में बात करें तो 2011 और 2022 के बीच, 47 राज्यों में 2,462 मामले दर्ज किए गए। सीडीसी ने ये भी बताया है कि साल्मोनेला पॉइजनिंग के लगभग 1.35 मिलियन मामले सालाना होते हैं। इनकी दुर्लभता ऐसी है कि 2 लाख लोगों में इसका एक ही मामला सामने आया, लेकिन साल 2001 से 2010 में इनके केसेज में 56 फीसदी वृद्धि देखी गई।
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