
प्रयागराज महाकुंभ : स्टीव जॉब्स की पत्नी महाकुंभ पहुंचीं, साधु वेशभूषा में बिताएंगी समय
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प्रयागराज महाकुंभ : स्टीव जॉब्स की पत्नी महाकुंभ पहुंचीं, साधु वेशभूषा में बिताएंगी समय
प्रयागराज : प्रयागराज महाकुंभ : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ की चर्चा दुनिया भर में हो रही है। इस बार महाकुंभ में न केवल भारत से, बल्कि जर्मनी, अफ्रीका और ब्राजील जैसे देशों से भी श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इस विशेष मौके पर एप्पल कंपनी के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स भी महाकुंभ में शामिल हुईं।
लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने महाकुंभ में संन्यासी वेशभूषा में प्रवेश किया और यहां वे साधुओं की संगत में समय बिताएंगी। उनका उद्देश्य इस धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन का अनुभव करना और साधु जीवन की साधना में भाग लेना है। वे इस समय को अपने जीवन को सीधा-सादा और आध्यात्मिक रूप से समर्पित करने के रूप में देख रही हैं।
महाकुंभ में हर वर्ष लाखों श्रद्धालु शाही स्नान के लिए आते हैं। लॉरेन पॉवेल भी इस धार्मिक अवसर पर शाही स्नान करेंगी, जो पापों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्त करने का अवसर माना जाता है। इस स्नान को विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का माना जाता है।
लॉरेन पॉवेल जॉब्स की महाकुंभ यात्रा इस बार और भी खास बन गई है, क्योंकि वह स्टीव जॉब्स की पत्नी होने के बावजूद साधु जीवन को अपनाने के लिए यहाँ आई हैं। उनका यह कदम साधना और आत्मा की शांति की तलाश में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है।
महाकुंभ न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। यह आयोजन धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और यहां हर साल लाखों लोग अपनी आस्था और विश्वास के साथ आते हैं। महाकुंभ का आयोजन त्रिवेणी संगम पर होता है, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियाँ मिलती हैं।
लॉरेन पॉवेल जॉब्स का महाकुंभ यात्रा के दौरान साधु जीवन अपनाना उनके जीवन में एक नया अध्याय जोड़ने जैसा है। वह इस दौरान अपनी आध्यात्मिक यात्रा को और गहरे स्तर तक ले जाने का प्रयास करेंगी, जहां वे साधु-संतों के बीच समय बिताएंगी और भारतीय संस्कृति और जीवन के मूल्यों को जानने का प्रयास करेंगी।
महाकुंभ 2025 के इस आयोजन में दुनिया भर से श्रद्धालु आकर न केवल धार्मिक कृत्य करते हैं, बल्कि यह आयोजन एक वैश्विक एकता और भाईचारे का प्रतीक बनता है। लॉरेन पॉवेल की उपस्थिति इस आयोजन की विशिष्टता को और बढ़ाती है, जो एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव को दर्शाती है।