दिल्ली में ठंड के मौसम के साथ प्रदूषण ने फिर से सिर उठाया है। सर्दियों के मौसम में दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण की स्थिति गंभीर हो जाती है। ठंडी के कारण हवा की गति कम होती है, जो प्रदूषण के कणों को जमने और वातावरण में स्थिर रहने में मदद करता है। इसके अलावा, सर्दियों के मौसम में बायोमास बर्निंग (जैसे लकड़ी जलाना) प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक है, जो AQI (Air Quality Index) के स्तर को खतरे के निशान तक ले जाता है।
दिल्ली सरकार प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक ठोस विंटर एक्शन प्लान तैयार कर चुकी है, जिसे ‘ग्रीन वॉर रूम’ के तहत लागू किया गया है। इस पहल के अंतर्गत 948 टीमों का गठन किया गया है, जो प्रदूषण से संबंधित गतिविधियों पर निगरानी रखती हैं।
ग्रीन वॉर रूम में पर्यावरण वैज्ञानिकों की टीम प्रदूषण की स्थिति की निगरानी करती है और आवश्यक कार्रवाई की सिफारिश करती है। साथ ही, प्रदूषण के कारण होने वाली समस्याओं के समाधान के लिए दिल्ली सरकार कई एजेंसियों के साथ समन्वय स्थापित कर रही है।
मौसम विभाग के अनुसार, प्रशांत महासागर से तेज ठंडी हवाएं उत्तर भारत में प्रदूषण को दूर करने में मदद कर सकती हैं, लेकिन सर्दी के मौसम में बायोमास जलाने की समस्या बनी रहती है, जिसे दिल्ली सरकार प्रभावी निगरानी और आवश्यक कदमों से नियंत्रित करने की योजना बना रही है।
प्रदूषण के कारणठंडी हवा की कम गति:
ठंडे मौसम में, हवा की गति कम हो जाती है, जिसके चलते प्रदूषण के कण (PM2.5, PM10) वातावरण में स्थिर रहते हैं और दूर नहीं होते। नतीजतन, प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। बायोमास बर्निंग: सर्दियों में दिल्ली में बायोमास जलाने की समस्या गंभीर होती है। लोग अलाव जलाते हैं और खेतों में जलाने की प्रक्रिया होती है, जिससे प्रदूषण में 25-30 प्रतिशत तक इजाफ़ा हो जाता है। विशेष रूप से, CRRI मथुरा रोड, ITO और नेहरू नगर जैसे इलाके इस समस्या से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। वाहनों से प्रदूषण: दिल्ली में वाहन प्रदूषण भी एक बड़ा कारण है। यातायात घनत्व अधिक होने के चलते नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे प्रदूषकों की मात्रा बढ़ जाती है।Discover more from ASIAN NEWS BHARAT
Subscribe to get the latest posts sent to your email.