
Piyush Goyal
Piyush Goyal: स्टॉकहोम/नई दिल्ली: केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल इन दिनों स्वीडन की आधिकारिक यात्रा पर हैं, जहां वे भारत और स्वीडन के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय नेताओं और कारोबारी प्रतिनिधियों से मुलाकात कर रहे हैं। इस यात्रा के दौरान गोयल ने भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच प्रस्तावित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को लेकर अहम बयान दिया है।
Piyush Goyal: फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर वार्ता अंतिम चरण में
स्टॉकहोम में पत्रकारों से बातचीत में पीयूष गोयल ने बताया कि भारत और यूरोपीय संघ के बीच एफटीए पर काफी हद तक सहमति बन चुकी है, और अब यह समझौता अंतिम रूप दिए जाने के बेहद करीब है। उन्होंने बताया कि अर्धाधिक समझौते तैयार हो चुके हैं और बाकी मुद्दों को सुलझाने के लिए दोनों पक्ष सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।
Piyush Goyal: गैर-शुल्क बाधाएं सबसे बड़ी चुनौती
गोयल ने स्पष्ट किया कि भारत-ईयू व्यापार को सबसे ज्यादा बाधाएं नॉन-टैरिफ बैरियर्स (गैर-शुल्क अवरोध) से आ रही हैं। जैसे भारतीय उत्पाद- मिर्च, चाय, बासमती चावल, दुग्ध उत्पाद, मछली, और रसायन आदि यूरोपीय बाजार में प्रवेश के समय कठोर नियमों और अवरोधों का सामना करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि यूरोप की ओर से अत्यधिक रेगुलेशन जारी रहा तो भारत को उत्तरदायी कदम उठाने होंगे।
Piyush Goyal: कार्बन टैक्स पर आपत्ति
एफटीए वार्ता के बीच गोयल ने यूरोपीय संघ द्वारा प्रस्तावित ‘कार्बन सीमा समायोजन तंत्र’ (CBAM) को भी एक प्रकार का गैर-शुल्क अवरोध बताया। उन्होंने कहा कि अगर भारतीय उत्पादों पर कार्बन टैक्स लगाया गया, तो यह भारतीय उद्योग के साथ अन्याय होगा और भारत को इसका जवाब देना होगा।
Piyush Goyal: भारत-यूरोपीय संघ के व्यापार संबंध
- वित्त वर्ष 2024-25 में भारत और यूरोपीय संघ के बीच द्विपक्षीय व्यापार 136.4 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया।
- भारत से ईयू को निर्यात – 75.75 अरब डॉलर, और आयात – 60.65 अरब डॉलर रहा।
- ईयू भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जो भारत के कुल निर्यात का 17% हिस्सा रखता है।
- भारत में 6000 से अधिक यूरोपीय कंपनियां कार्यरत हैं, जिनका संयुक्त निवेश 117 अरब डॉलर से अधिक है। वहीं, भारत का यूरोपीय संघ में निवेश 40 अरब डॉलर के आसपास है।
Piyush Goyal: 8 साल के बाद फिर से शुरू हुई वार्ता
गौरतलब है कि भारत और ईयू के बीच एफटीए वार्ता 2013 में मतभेदों के चलते रुक गई थी, लेकिन जून 2022 में दोबारा शुरू हुई। अब दोनों पक्ष बाजार खोलने और व्यापार में सहजता के उपायों पर सहमत होने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं।