
Patna Bihar News BPSC कार्यालय के बाहर अभ्यर्थियों का प्रदर्शन, नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ पुलिस का लाठीचार्ज
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Patna Bihar News BPSC कार्यालय के बाहर अभ्यर्थियों का प्रदर्शन, नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ पुलिस का लाठीचार्ज
बिहार में नॉर्मलाइजेशन नीति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तीव्र, बीपीएससी कार्यालय पर हड़ताल
पटना: उत्तर प्रदेश के बाद बिहार में भी नॉर्मलाइजेशन नीति के विरोध में प्रदर्शन तेज हो गया है। पटना में बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन (बीपीएससी) के कार्यालय के सामने सैकड़ों अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन किया और बेली रोड को बंद कर दिया। यह प्रदर्शन बीपीएससी द्वारा लागू की गई नॉर्मलाइजेशन नीति के खिलाफ था।
बीपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन नीति को लेकर राज्य भर में विरोध प्रकट हो रहा है। अभ्यर्थियों का मानना है कि इस नीति के तहत उनके परीक्षा के अंक कम कर दिए जाते हैं, जिससे उनके करियर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। नॉर्मलाइजेशन के जरिए छात्रों के प्रदर्शन को मानकीकृत किया जाता है, लेकिन यह प्रणाली छात्र समुदाय में असंतोष और चिंता का कारण बन गई है।
प्रदर्शन में शामिल छात्रों ने बीपीएससी कार्यालय के बाहर नारे लगाते हुए बेली रोड को जाम कर दिया। उनका आरोप है कि बीपीएससी ने नॉर्मलाइजेशन नीति को लागू करने से पहले उनसे कोई सलाह-मशविरा नहीं किया, जिससे उनकी कड़ी मेहनत का मूल्य कम हो रहा है। स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिससे तनाव बढ़ गया। इस दौरान कई छात्र घायल हो गए और कुछ को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
प्रदर्शनकारी छात्रों ने नॉर्मलाइजेशन नीति को वापस लेने और बीपीएससी के परीक्षा पैटर्न में सुधार की मांग की है। उनका कहना है कि यह नीति उनके साथ भेदभाव करती है और उनके भविष्य के अवसरों को प्रभावित कर रही है।
प्रशासन और पुलिस ने स्थिति को शांत करने के लिए तुरंत कदम उठाए और प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने की कोशिश की। हालांकि, छात्रों के विरोध को देखते हुए स्पष्ट है कि अगर बीपीएससी और राज्य सरकार इस मुद्दे पर शीघ्र समाधान नहीं निकालते हैं, तो विरोध और भी बढ़ सकता है।
उत्तर प्रदेश में शुरू हुए विरोध अब बिहार में फैल चुका है, जिससे छात्र समुदाय में व्यापक आक्रोश देखा जा रहा है। बिहार के विभिन्न जिलों में भी छात्र संगठनों द्वारा इसी मुद्दे पर प्रदर्शन किए जा रहे हैं।
अभ्यर्थियों के इस आंदोलन ने राज्य की शिक्षा प्रणाली और प्रशासन की संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला बिहार के शिक्षा और प्रशासनिक ढांचे में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
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