
Pakhanjoor News
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पखांजूर, कमल जायसवाल
Pakhanjoor News : पखांजूर : देश एक तरफ जहां चांद पर घर बनाने के सपने देख रहा है। अंदरूनी इलाके के आखिरी घर तक विकास पहुँचाने का दावे किये जा रहे है।
Pakhanjoor News : वहीं आजादी के 76 वर्ष बीत जाने के बाद भी उरपांजूर गाँव के लोग मुलभुत सुविधाओं को तरस रहे है। यह गांव आजाद भारत में आज भी अंधेरे की दीवारों में कैद है।इस गाँव ने बिजली का न होना राज्य और केंद्र सरकार के तमाम दावों की पोल खोल रही है।
गौरतलब है की ग्राम पंचायत मेंड्रा का आश्रित गाँव “उरपांजूर” मे आजतक बिजली नहीं पहुंची है,जिससे ग्रामीणों को काफी परेशानीओ से जूझना पड़ रहा है।
आज के आधुनिकता समय में कोई बिजली,गैस,मोबाइल और इंटरनेट के बिना रहने की सोच भी नहीं सकता।मगर यहाँ के लोग चूल्हे पर खाना पकाते हैं।बिना बिजली के रहते हैं,इंटरनेट और मोबाइल के बिना ख़ुशी-ख़ुशी रह रहे हैं।
सांसारिक मोह-माया यानी डिजिटल उपकरणों और मशीनों यहां के लोगों का कोई नाता नहीं है। गाँव मे सिर्फ दो लोगो के पास मोबाइल है जिसे चार्ज करने पड़ोस के गाँव मे जाते है।और नेटवर्क खोजने के लिए पेड़ मे चढ़ना पड़ता है।
आप सोचेंगे कि शायद इस गांव के लोग बहुत ही ग़रीब होंगे इसलिए यह सभी उपकरण खरीद नहीं रहे होंगे , लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है।बिजली के आभाव मे तमाम चीज़ों का त्याग कर वैदिक काल में जैसे लोग रहा करते थे,वैसे ही जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
इस अंधेरे में रोशनी की उम्मीद जगाने वाली एक नई तस्वीर सामने आई है।वह तस्वीर है इन छोटे-छोटे बच्चों की जो दिए या फिर मोमबत्ती की लौ में अपनी जिंदगी को रोशनी से भर देने के सपने देख रहे हैं।
गांव के बच्चों में गांव की तस्वीर बदलने का एक जज्बा है। बिजली नहीं होने के बाद भी यहां पर बच्चे रात भर पढ़ाई करते हैं और स्कूल भी जाते हैं।कोई ऑटोमोबाइल इंजीनियर बनना चाहता है तो कोई शिक्षक बनने का सपना देखता है।
बच्चे बताते हैं कि मोमबत्ती की लौ में उन्हें कई तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ता है कई बार मोमबत्ती की रौशनी में पढ़ते पढ़ते कभी उनकी किताबें जल जाती हैं तो कभी कपड़े जल जाते हैं।
इतना ही नहीं लौ से निकलने वाले दुआ भी उनकी आंखों को तकलीफ पहुंचाता है।इतनी तकलीफ के बावजूद बच्चों का कहना है कि पढ़ लिख कर गांव वालों की जिंदगी में बदलाव लाना चाहते हैं।
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छत्तीसगढ़ राज्य का गठन होने के बाद राज्य में सरकारें उलट फेर हो गई।दर्जनों अफसर समेत नेता मंत्री सब बदल गए।जिसकी सरकार सत्ता में आई सभी के नेताओ ने ग्रामीणों को बिजली पहुंचाने का आश्वासन दिया।
पर किसी ने अपना वायदा पूरा नही किया।भाजपा की सरकार पन्द्रह सालो तक सत्ता में काबिज रही।पर सिर्फ आश्वासन का झुनझुना ग्रामीणों को थमा दिया जाता रहा।सरकार बदली कांग्रेस की सरकार बनी।
ग्रामीणों की उम्मीद जागी की अब शायद मांगे पूरी हो गांव में बिजली आये और बाकी जगहों की तरह यहां के ग्रामीण भी अपने घरों को रोशन कर सकें परन्तु इस सरकार में बने नेता मंत्री भी पांच साल में गांव के लिए कुछ न कर सके।
ऐसा लगता है मानो एक छोटे से गांव में बिजली पहुंचाना न तो भाजपा सरकार के हाथ मे है और न ही कांग्रेस की सरकार के हाथ मे।वर्तमान मे राज्य मे भाजपा की सरकार है, ग्रामीणों का सपना आज भी बरकार है
और उम्मीद है कि शायद कोई इनकी भी सुनेगा और जरूर गांव एक दिन रोशनी से जगमगा उठेगा।
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