नई दिल्ली। भारत में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की अवधारणा को साकार करने की दिशा में केंद्र सरकार तेजी से कदम बढ़ा रही है। इस ऐतिहासिक कदम को लागू करने के लिए केंद्र सरकार ने पहले ही पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। अब ऐसी संभावना है कि इस दिशा में महत्वपूर्ण विधेयक मौजूदा संसद सत्र में पेश किया जा सकता है।
क्या है ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’?
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का उद्देश्य देश में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना है। मौजूदा प्रणाली के तहत, भारत में विभिन्न चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं, जिससे बार-बार चुनाव प्रक्रिया में समय, धन और प्रशासनिक संसाधन खर्च होते हैं। यह नया प्रस्ताव एक समान चुनाव प्रक्रिया को लागू करके इन समस्याओं को हल करने का प्रयास है।
रामनाथ कोविंद समिति की सिफारिशें
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति ने इस साल मार्च में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। रिपोर्ट में समिति ने सुझाव दिया कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को दो चरणों में लागू किया जा सकता है।
- पहला चरण: मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने पर देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चुनाव एक साथ कराए जाएं।
- दूसरा चरण: राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विधानसभा चुनाव को लोकसभा चुनाव के साथ सिंक्रनाइज़ करने के लिए एक नई प्रणाली विकसित की जाए।
समिति की रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
- लागत में कमी: बार-बार चुनाव कराने पर खर्च होने वाले सरकारी धन में भारी कमी आएगी।
- प्रशासनिक कुशलता: चुनाव प्रक्रिया में लगे प्रशासनिक और सुरक्षा बलों का समय और ऊर्जा एक साथ चुनाव कराने से बचाई जा सकेगी।
- सरकारी कामकाज में रुकावट: बार-बार चुनाव आचार संहिता लागू होने से सरकारी योजनाओं और विकास कार्यों पर पड़ने वाले असर को कम किया जा सकेगा।
- चुनावी प्रक्रिया का सरलीकरण: मतदाता और चुनाव प्रबंधन के लिए यह प्रणाली अधिक सरल और सुविधाजनक होगी।
चुनौतीपूर्ण मुद्दे और विरोध
हालांकि, इस प्रस्ताव को लागू करना आसान नहीं है। इसके लिए संविधान में कई संशोधन करने की आवश्यकता होगी, विशेष रूप से अनुच्छेद 83, 172, 85 और 174 में।
- राजनीतिक असहमति: कई विपक्षी दल इस प्रस्ताव को लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताते हैं। उनका तर्क है कि यह संघीय ढांचे को कमजोर कर सकता है।
- कार्यकाल की असमानता: विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं के कार्यकाल अलग-अलग होते हैं। सभी का कार्यकाल सिंक्रनाइज़ करना चुनौतीपूर्ण होगा।
- तकनीकी और संसाधन संबंधी बाधाएं: एक साथ चुनाव कराने के लिए भारी संख्या में ईवीएम और वीवीपैट की आवश्यकता होगी।
सरकार का पक्ष
केंद्र सरकार का कहना है कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का उद्देश्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, कुशल और लागत प्रभावी बनाना है। इसके अलावा, सरकार का मानना है कि यह प्रणाली जनता को बार-बार चुनावी प्रचार से बचाएगी और विकास कार्यों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का मौका देगी।
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