
रायपुर। नाईन : इसका काम जन्म से लेकर मृत्यु पर्यन्त होने वाले धार्मिक कार्यों में होता है। हिन्दू समाज में पंडित और नाई, पंडिताइन अरु नाईन का अपना अलग ही महत्त्व होता है। अकेली नाईन चौक पूरे या महावर दे यह मुहावरा बचपन में खूब सुनाने को था। जो हमारे समाज की समरसता दर्शाता है।
नाईन क्या है जरूर जानें
हिन्दू समाज में बाल काटने का काम एक विशेष जाति के लोग करते हैं, जिनको नाऊ या फिर नाई कहा जाता है। नाई की पत्नी को नाईन या फिर नाउनि कहा जाता है। वैसे अंग्रेजी जानकार नाईन का अर्थ नौ अंक से लगाते हैं। जबकि उसे हिंदी में नाइन लिखा जाता है।
नाईन के कौन -कौन से काम
नाई पंडित हमारे धार्मिक संस्कारों की रीढ़ होते हैं। जन्म से लेकर मृत्यु तक के सारे धार्मिक अनुष्ठानों में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। पंडित के पहुंचने के पहले की सारी तैयारी नाऊ या नौनिया संभालती है। इससे पंडित का काम काफी आसान हो जाता है। धार्मिक अनुष्ठान के लिए सामग्रियों को जुटाने उनको सजा कर पंडित के पास रखने। यजमान और यजमानिन का गठबंधन करने, महिलाओं के पैरों में महावर लगाने और उनके नाखून तक काटने का काम नाईन करती है।
नौनिया ने मांग लिया था ऊदल का बेंदुला घोड़ा
महोबा के अमर वीर आल्हा की शादी में महावर लगाने के नेग में महोबा के रूपन नाऊ की नौनिया ने ऊदल से उनका प्रिय घोड़ा बेंदुला को मांग लिया था। ये अलग बात है कि रूपन नाऊ को बेंदुला की सवारी कितनी भारी पड़ी थी कि उसने अपनी पत्नी को सरेआम पीट दिया था। आसमान में उड़ने वाले बेंदुला घोड़े ने रूपन नाऊ की आसमान में ही कलाबाज़ियाँ खाकर बुरा हाल कर डाला था। ऊदल की सीटी सुनकर वो जब जमीन पर लौटा था, तब कहीं जाकर रूपन नाऊ की जान बची थी।