
National Telecom Policy: अब हर मॉल, मोहल्ला और मेट्रो स्टेशन बनेगा वाई-फाई जोन, सरकार की बड़ी योजना
National Telecom Policy: नई दिल्ली : भारत सरकार जल्द ही एक नई राष्ट्रीय दूरसंचार नीति (National Telecom Policy) लाने की तैयारी में है, जो देश के टेलीकॉम सेक्टर में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली है। इस नीति के तहत सरकार का उद्देश्य 2030 तक देशभर में सस्ती और सुगम कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना, टेलीकॉम उत्पादों के निर्यात को दोगुना करना और 10 लाख से अधिक नई नौकरियों का सृजन करना है। संचार मंत्रालय इस नीति को अंतिम रूप देने के लिए विभिन्न स्टेकहोल्डर्स के साथ गहन विचार-विमर्श कर रहा है। इसके तहत सरकार का लक्ष्य भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के योगदान को 7.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 11 प्रतिशत तक पहुंचाना है।
National Telecom Policy: इस नीति में आत्मनिर्भर भारत की भावना को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय टेलीकॉम उपकरण निर्माण को प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के तहत अब तक 80,927 करोड़ रुपये की बिक्री हो चुकी है, जिसमें 14,915 करोड़ रुपये का निर्यात शामिल है। इसके अलावा, सरकार देशभर में 4G कवरेज को 100 प्रतिशत और 5G कवरेज को 90 प्रतिशत आबादी तक पहुंचाने की योजना पर काम कर रही है। 2030 तक भारतनेट परियोजना के अंतर्गत सभी ग्राम पंचायतों को फाइबर कनेक्टिविटी से जोड़ा जाएगा और पूरे देश में 10 लाख सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट स्थापित किए जाएंगे।
National Telecom Policy: सरकार केवल टॉवर नेटवर्क पर ही नहीं, बल्कि सैटेलाइट आधारित कनेक्टिविटी को भी समान रूप से बढ़ावा दे रही है। इसके लिए सक्षम नीतिगत ढांचा तैयार किया जा रहा है। Amazon Kuiper, Starlink, यूटेलसैट-वनवेब और जियो-एसईएस जैसे वैश्विक खिलाड़ी भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने की दिशा में आगे बढ़ चुके हैं। यूटेलसैट और जियो-एसईएस को पहले ही सैटकॉम परमिट जारी किए जा चुके हैं, जबकि स्टारलिंक को लेटर ऑफ इंटेंट मिल चुका है।
National Telecom Policy: नई नीति से न केवल सस्ते और तेज इंटरनेट का लाभ मिलेगा, बल्कि रोजगार के भी नए अवसर खुलेंगे। रोजगार के ये अवसर 5G, 6G, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, बिग डेटा, साइबर सुरक्षा और क्वांटम कम्युनिकेशन जैसे उभरते क्षेत्रों में होंगे। यह नीति भारत को डिजिटल शक्ति बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है और 2030 तक देश की डिजिटल और आर्थिक तस्वीर को पूरी तरह से बदल सकती है।
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