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Mobile Fraud : देशभर में मोबाइल फ्रॉड और फर्जी मैसेज की बढ़ती समस्या को देखते हुए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने Airtel, Jio, Vodafone-Idea और BSNL सहित सभी टेलीकॉम कंपनियों को स्वदेशी स्पैम ब्लॉकिंग टेक्नोलॉजी अपनाने का निर्देश दिया है। इस तकनीक का अगले तीन महीने तक ट्रायल किया जाएगा, जिससे लाखों मोबाइल यूजर्स को फर्जी कॉल और मैसेज से राहत मिलेगी।
स्पैम ब्लॉकिंग सॉल्यूशन का ट्रायल और समीक्षा
सरकार ने स्वदेशी तकनीक पर आधारित एक नया स्पैम ब्लॉकिंग सॉल्यूशन विकसित किया है, जिसे तीन महीने के लिए ट्रायल बेसिस पर लागू किया जाएगा। इस दौरान टेलीकॉम कंपनियों को इसका फीडबैक देना होगा।
इस पहल की पहली समीक्षा बैठक फरवरी 2025 में होगी, जिसमें सभी टेलीकॉम ऑपरेटर्स, साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) और अन्य संबंधित अधिकारी शामिल होंगे। इस मीटिंग में ट्रायल की प्रगति और यूजर्स के अनुभवों की समीक्षा की जाएगी, जिससे तकनीक को और प्रभावी बनाया जा सके।
कैसे करेगा काम यह स्पैम ब्लॉकिंग सिस्टम?
- यह टेक्नोलॉजी AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और मशीन लर्निंग का उपयोग करके फर्जी और स्पैम मैसेज को पहचानकर ब्लॉक करेगी।
- यह संदिग्ध नंबरों और संदिग्ध शब्दों को डिटेक्ट कर यूजर्स को अलर्ट भेजेगी।
- यह सिस्टम बैंकिंग, OTP फ्रॉड, लॉटरी स्कैम, ठगी वाले लिंक आदि से जुड़े मैसेज को ऑटोमेटिक ब्लॉक करने में मदद करेगा।
- इसके ज़रिए फर्जी कॉल और एसएमएस से संबंधित डेटा को सरकार और टेलीकॉम कंपनियों के साथ रियल-टाइम में साझा किया जाएगा।
Mobile Fraud
क्यों उठाया गया यह कदम?
पिछले कुछ वर्षों में भारत में साइबर फ्रॉड, स्पैम मैसेज और फर्जी कॉल के मामले तेजी से बढ़े हैं। ठग मोबाइल यूजर्स को फर्जी लिंक, फेक बैंक कॉल और अन्य स्कैम के जरिए धोखाधड़ी का शिकार बना रहे हैं।
सरकार और साइबर सुरक्षा एजेंसियों को लगातार इस तरह की शिकायतें मिल रही थीं, जिसके चलते गृह मंत्रालय ने यह कड़ा कदम उठाया है। इस पहल से लाखों मोबाइल यूजर्स को साइबर धोखाधड़ी से बचाने में मदद मिलेगी।
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फरवरी में होगी समीक्षा बैठक
गृह मंत्रालय ने टेलीकॉम ऑपरेटर्स को फरवरी 2025 में इस टेक्नोलॉजी के ट्रायल का फीडबैक देने के लिए कहा है। इस समीक्षा बैठक में ट्रायल की प्रभावशीलता, आने वाली चुनौतियों और भविष्य में इस तकनीक को स्थायी रूप से लागू करने पर चर्चा की जाएगी।
सरकार की इस पहल से करोड़ों मोबाइल यूजर्स को राहत मिलने की उम्मीद है। स्वदेशी तकनीक से फर्जी कॉल और स्पैम मैसेज को रोकने की दिशा में यह एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। अगर यह तकनीक सफल रही, तो इसे देशभर में स्थायी रूप से लागू किया जाएगा, जिससे मोबाइल धोखाधड़ी पर लगाम लगाई जा सकेगी।
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