मंदसौर : Mandsaur Unique Wedding : आज के आधुनिक समय में जहां शादियों और अन्य आयोजनों में भव्यता और दिखावे की होड़ मची हुई है, वहीं मंदसौर के बाबरेचा गांव से एक ऐसा उदाहरण सामने आया है, जिसने सभी को भारतीय प्राचीन संस्कृति की याद दिला दी।
Mandsaur Unique Wedding : बैलगाड़ी में सवार मायरा: संस्कृति की झलक
बाबरेचा गांव के नागदा परिवार ने अपनी बहन का मायरा भरने के लिए आधुनिक वाहनों को छोड़कर 11 आकर्षक बैलगाड़ियों का उपयोग किया। 12 किलोमीटर लंबा यह अनोखा सफर गांव रिंडा तक पहुंचा, जहां पूरे रास्ते जगह-जगह लोगों ने मायरे का स्वागत किया।
इस दौरान बैलगाड़ियों को पारंपरिक भारतीय वेशभूषा और रंगीन सजावट से सुसज्जित किया गया, जो देखने वालों को मंत्रमुग्ध कर गया।
भगवान सांवरिया सेठ की पालकी ने बढ़ाई शोभा
मायरे की यात्रा में सबसे आगे वाली बैलगाड़ी में भगवान सांवरिया सेठ की पालकी को रखा गया। इस गाड़ी में नागदा परिवार के दो भाई भी सवार थे। पालकी की भव्यता और इस पूरी यात्रा ने हर किसी को भारतीय संस्कृति की गहराई का अनुभव कराया।
पर्यावरण और लोकल को अपनाने की प्रेरणा
नागदा परिवार के घनश्याम नागदा और ओम नागदा ने बताया कि यह पहल नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से जोड़ने और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के उद्देश्य से की गई थी। 15 दिन पहले यह विचार आया और इसे पूरे मन से साकार किया गया।
लोगों का शानदार स्वागत
मायरे के सफर के दौरान, हर जगह गांववासियों ने इस सांस्कृतिक प्रयास का स्वागत किया। रिंडा गांव में ग्राम प्रधान सहित सभी ने नागदा परिवार का सम्मान किया। मायरे के समापन के बाद बहन के ससुराल में विवाह की रस्में पूरी की गईं।
भारतीय संस्कृति की झलक
यह आयोजन इस बात का प्रमाण है कि आधुनिकता के इस दौर में भी भारतीय प्राचीन परंपराओं और मूल्यों को जीवित रखा जा सकता है। नागदा परिवार की यह पहल नई पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है कि हमारी संस्कृति और पर्यावरण को संरक्षित करना भी उत्सव का हिस्सा हो सकता है।
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