Mahakumbh 2025 : महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में संगम नगरी प्रयागराज में होता है। इसे दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है। इस पावन अवसर पर साधु-संत और करोड़ों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्नान और पूजा-अर्चना के लिए जुटते हैं।
यदि आप भी महाकुंभ में जाने की योजना बना रहे हैं, तो इन 7 आवश्यक कार्यों को करना न भूलें। ये न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनसे मिलने वाला पुण्य भी दोगुना हो जाता है।
प्रयागराज: सभी तीर्थों का राजा
प्रयागराज को सभी तीर्थों का राजा कहा जाता है। यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम है, जो इसे विशेष बनाता है। इस तीर्थ का महत्व अन्य सभी तीर्थों से अधिक है। महाकुंभ के दौरान यहां स्नान, ध्यान और पूजा करना न केवल पापों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि आध्यात्मिक शांति भी प्रदान करता है।
महाकुंभ में जरूर करें ये 7 कार्य
- गंगा स्नान और ध्यान:
महाकुंभ में गंगा स्नान का विशेष महत्व है। हर दिन गंगा में कम से कम 5 बार डुबकी लगाएं। स्नान करते समय गंगा मंत्र का जाप करें। यह आपके पापों को समाप्त करने और पुण्य अर्जित करने का श्रेष्ठ तरीका है। - जप, तप और पूजा:
तीर्थराज में जप, तप, ध्यान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। इसे सही तरीके से करने के लिए वहां मौजूद पंडित या साधु-संत से मार्गदर्शन लें। - पिंडदान का महत्व:
महाकुंभ में पितरों के लिए पिंडदान करना पुण्यदायक माना जाता है। ध्यान रखें कि पिंडदान करने से पहले सिर मुंडवाना आवश्यक है। - ब्रह्ममुहूर्त में उठें:
महाकुंभ में रहते हुए रोजाना ब्रह्ममुहूर्त में उठकर गंगा और तीर्थराज को नमन करें। यह आपके जीवन को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देगा। - साधु-संतों के प्रवचन सुनें:
महाकुंभ में साधु-संतों के प्रवचन सुनना अत्यंत फलदायक होता है। यह ज्ञान और धर्म की समझ को बढ़ाता है। - कल्पवास का पालन करें:
यदि संभव हो तो महाकुंभ के दौरान एक दिन का कल्पवास जरूर करें। कल्पवास में साधु-संतों के साथ रहकर तप और ध्यान करना विशेष पुण्य प्रदान करता है। - दान और उपवास करें:
महाकुंभ में दान का विशेष महत्व है। गरीबों को भोजन, वस्त्र और अन्य जरूरी चीजें दान करें। साथ ही, अपनी क्षमता के अनुसार उपवास रखें।
Mahakumbh 2025
महाकुंभ में यह न भूलें
- महाकुंभ में प्रभु और गंगा मां की भक्ति में लीन रहें।
- अनावश्यक चिंताओं और सांसारिक विचारों से बचें।
- साधु-संतों के सान्निध्य का पूरा लाभ उठाएं।
- तीर्थराज में गंदगी न करें और स्वच्छता बनाए रखें।
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