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Mahakumbh 2025 : सिंघानिया परिवार ने लगाई संगम में आस्था की डुबकी
Mahakumbh 2025 : सिंघानिया परिवार ने लगाई संगम में आस्था की डुबकी
Mahakumbh 2025 : प्रयागराज में आस्था, अध्यात्म और सनातन परंपराओं का विराट समागम महाकुंभ पर्व चल रहा है। यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जहां देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु संगम में पुण्य स्नान करने पहुंच रहे हैं।
इसी पावन अवसर पर सिंघानिया बिल्डकॉन के CMD सुबोध सिंघानिया भी प्रयागराज पहुंचे और त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। इस दौरान एशियन न्यूज़ के विशेष संवाददाता दीपक पांडेय ने उनसे महाकुंभ की व्यवस्थाओं और उनके आध्यात्मिक अनुभवों पर विशेष बातचीत की।
महाकुंभ की दिव्यता और इसकी व्यवस्थाओं को लेकर सुबोध सिंघानिया ने कहा कि यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक समागम नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा का गौरवशाली प्रतीक है। उन्होंने इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना की और कहा कि,”जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी ने इस महाकुंभ को सनातन गर्व महाकुंभ पर्व का रूप दिया है, वह अतुलनीय है। यह आयोजन मानवता की अमूर्त दृष्टि को दर्शाने वाला है, जिसे और कोई नहीं कर सकता।”
महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए की गई व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए सुबोध सिंघानिया ने कहा कि यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक समता और मानवता के मूल्यों को दर्शाने वाला एक ऐतिहासिक समागम है। उन्होंने कहा कि,”यह केवल एक साधारण मेला नहीं, बल्कि एक अलौकिक और दिव्य आयोजन है, जो सनातन परंपरा और भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाता है। महाकुंभ एक ऐसा महोत्सव है, जहां पूरी मानवता एक साथ आती है और आध्यात्मिकता के विराट स्वरूप को अनुभव करती है।”
सुबोध सिंघानिया ने महाकुंभ को सामाजिक समता और मानवता का सबसे बड़ा उत्सव बताया और कहा कि,
“ऐसा भव्य आयोजन न केवल सनातन परंपराओं को सहेजने का कार्य कर रहा है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भारतीय संस्कृति की गौरवशाली विरासत से जोड़ने का कार्य भी कर रहा है।”
महाकुंभ का यह आयोजन धर्म, आस्था, अध्यात्म और संस्कृति का एक अद्भुत संगम है। करोड़ों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान कर अपने आध्यात्मिक जीवन को समृद्ध कर रहे हैं।
सुबोध सिंघानिया ने अंत में कहा कि महाकुंभ केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं, बल्कि यह भारत की अनंत सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा का जीवंत प्रमाण है, जिसे पूरी दुनिया श्रद्धा और आश्चर्य के साथ देख रही है।
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