Kuber Maharaj Temple
Kuber Maharaj Temple : मंदसौर। धनतेरस के पावन पर्व पर मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के खिलचीपुरा स्थित प्राचीन कुबेर महाराज मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है। यहां धन के देवता भगवान कुबेर शिव परिवार के साथ एक ही मंदिर में विराजमान हैं। खास बात यह है कि कुबेरजी की अनूठी मूर्ति, जो शिव के साथ स्थापित है, पूरे देश में केवल गुजरात के वडोदरा के बाद मंदसौर में ही मिलती है। सुबह 4 बजे शुरू हुई तंत्र पूजा के बाद हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।
Kuber Maharaj Temple : 1300 साल पुरानी चमत्कारी मूर्ति
शहर से मात्र 3 किमी दूर स्थित यह गुप्त कालीन मंदिर इतिहासकारों के अनुसार 1300 साल पुराना है। खिलजी साम्राज्य से पहले की इस मूर्ति को उत्तर गुप्त काल की सातवीं शताब्दी में निर्मित माना जाता है। मंदिर पुजारी के अनुसार, गर्भगृह पर आज तक कभी ताला नहीं लगा। प्रारंभ में तो दरवाजा भी नहीं था। भगवान कुबेर की चतुर्भुज मूर्ति एक हाथ में धन की पोटली, दो हाथों में शस्त्र और एक हाथ में प्याला लिए हुए है। वे नेवले पर सवार हैं। मराठा काल में धौलागिरि महादेव मंदिर के निर्माण के दौरान इसे गर्भगृह में स्थापित किया गया।
Kuber Maharaj Temple : शिव परिवार के साथ विराजे कुबेर महाराज
यह मंदिर धौलागिरि महादेव का है, जहां भगवान कुबेर के साथ शिव, माता पार्वती और गणेशजी की मूर्तियां भी स्थापित हैं। अनोखी परंपरा के अनुसार, भक्तों को झुककर ही गर्भगृह में प्रवेश करना पड़ता है और बाहर निकलते समय पीठ दिखाए बिना पीछे की ओर चलना होता है। दावा है कि यहां पूजा-आराधना से धन संबंधी सभी चिंताएं दूर हो जाती हैं।
Kuber Maharaj Temple : धनतेरस पर विशेष आयोजन
आज धनतेरस के अवसर पर सुबह 4 बजे तंत्र पूजा के बाद हवन और महाआरती का भव्य आयोजन हो रहा है। गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों से हजारों भक्त पहुंचे हैं। अल सुबह से दर्शन के लिए लंबी कतारें लगी हुई हैं। मंदिर में भगवान गणेश और माता पार्वती की मूर्तियां भी विराजमान हैं, जिससे यह शिव परिवार का पूर्ण रूप ले लेता है।
Kuber Maharaj Temple : देश में दुर्लभ मूर्ति का महत्व
इतिहासकारों का मानना है कि मराठाकालीन युग में इस मंदिर का विस्तार हुआ। कुबेरजी की इस प्रकार की मूर्ति देश में अत्यंत दुर्लभ है। भक्तों का विश्वास है कि धनतेरस पर यहां दर्शन करने से वर्ष भर धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती। मंदिर के पुजारी ने बताया कि यह मूर्ति खिलजी आक्रमण से पहले की है और गुप्त काल की उत्कृष्ट कला का प्रतीक है।
Discover more from ASIAN NEWS BHARAT - Voice of People
Subscribe to get the latest posts sent to your email.






