नई दिल्ली। लॉरेन से बनी कमला का महाकुम्भ में कल्पवास : स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल महाकुम्भ में कल्पवास करने आ रही हैं। दुनिया की अरबपतियों की सूची में इनका नाम दर्ज़ है। इनके सनातन से प्रेम को देखते हुए स्वामी कैलाशानंद महाराज ने इनको अपना गोत्र देकर इनका नाम कमला रखा है। लॉरेन पॉवेल 13 जनवरी को प्रयागराज पहुँच जाएंगी। यहां उनके ठहरने का थी शाही इंतजाम किया गया है। कौन हैं लॉरेन पॉवेल, वे क्यों करने आ रही हैं कल्पवास ? जानने के लिए बने रहिये एशियन न्यूज़ भारत के साथ –
लॉरेन से बनी कमला का महाकुम्भ में कल्पवास :
प्रयागराज के महाकुंभ को ऐसी ही आस्था और संस्कृतियों का संगम नहीं कहा जाता है। ऐसा युगों – युगों से होता आ रहा है। ये सनातन धर्म का वह आयोजन है, जो इंसान को इंसान से जोड़ता है. प्रयागराज में होने जा रहा महाकुंभ-2025 इसका बेहद ही सटीक उदाहरण है। असल में एपल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की विधवा पत्नी और दुनिया की सबसे धनी और प्रभावशाली महिलाओं में गिनी जाने वाली लॉरेन पॉवल जॉब्स प्रयागराज महाकुंभ में आएंगी।
अरबपति व्यवसाई लॉरेन यहां पर कल्पवास भी करेंगी तथा साधुओं की संगत में सादगीपूर्ण जीवन बिताएंगी । उनके दिवंगत धर्मपति स्टीव की तरह ही लॉरेन का भी हिंदू और बौद्ध धर्म से खास जुड़ाव हैं वे अक्सर सनातनी समागमों में मौजूद रहती हैं।
कहाँ से निकल कर आई जानकारी
लॉरेन पॉवेल के कल्पवास की जानकारी स्वामी कैलाशानंद महाराज ने दी। उन्होंने बताया कि, एप्पल के सह-संस्थापक स्वर्गीय स्टीव जॉब्स की धर्मपत्नी लॉरिन पॉवेल जॉब्स प्रयागराज महाकुंभ 2025 में शामिल होने के लिए आ रही हैं। वे महाराज की शिष्य हैं, जिनको महाराज अपनी पुत्री मानते हैं। स्वामी जी ने कहा कि “वह यहां अपने गुरु से मिलने आ रही हैं, हमने उनको अपना गोत्र दिया है और उनका नाम ‘कमला’ रखा है। ये दूसरा मौका है जब वह इंडिया आ रही हैं। महाकुंभ 2025 में सभी का स्वागत है। ‘
कहां की गई है उनके ठहरने की व्यवस्था
तमाम खबरों के मुताबिक़ 61 साल की लॉरेन 13 जनवरी को प्रयागराज आ जाएंगी। महाकुंभ में लॉरेन पॉवेल जॉब्स के ठहरने की विशेष व्यवस्था महाराजा डीलक्स कॉटेज में कर दी गई है। वह निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद के शिविर में 29 जनवरी तक वास करेंगी। इस दौरान वे सनातन धर्म को करीब से समझने का प्रयास करेंगी। इसके अलावा, वह 19 जनवरी से शुरू हो रही कथा की प्रथम यजमान भी होंगी।
सनातन और संतों से सम्बन्ध रखते थे स्टीव जॉब्स
आपको जानकार गर्व होगा कि एप्पल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स भी सनातन परंपरा में गहरा विश्वास रखते थे। अपने जीवनकाल में वे भारतीय संतों से काफी प्रभावित थे। ऐसे महान संतों में बाब नीम करोली महाराज का नाम प्रमुखता से लिया जाता रहा है। बताया तो ये भी जा रहा है कि वर्ष 1974 में स्टीव जॉब्स बाबा नीम करोली के दरबार में भी आए थे। उनके जीवन का सबसे बड़ा सच जो आज रहस्य बन चुका था, उसे जानने के लिए स्टीव जॉब्स बाबा नीम करोली के आश्रम पहुंचे थे। उनकी इस यात्रा में वे नीम करोली के बाबा के आश्रम कैंची धाम में ठहरे भी थे। इसकेअतिरिक्त स्वामी परमहंस योगानंद की लिखित ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगी’ किताब भी उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण थी। उन्होंने कई अवसरों पर इस किताब को जिंदगी में बदलाव लाने का जरिया बताया था।
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