28 दिसंबर को शनि त्रयोदशी का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह दिन उन लोगों के लिए खास है जिनकी कुंडली में शनि का प्रभाव अधिक होता है। शनि त्रयोदशी पर शनि देव और भगवान शिव की पूजा से विशेष आशीर्वाद मिलता है। इस दिन प्रदोष काल में पूजा करना सबसे शुभ माना गया है।
शनि त्रयोदशी का शुभ मुहूर्त:
पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 दिसंबर को सुबह 2:28 बजे से शुरू होकर 29 दिसंबर को सुबह 3:32 बजे समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, व्रत और पूजा 28 दिसंबर, शनिवार को रखा जाएगा।
- पूजा का समय: शाम 5:26 से रात 8:17 तक।
- प्रदोष काल का समय: सूर्यास्त के बाद का डेढ़ घंटा।
शनि त्रयोदशी पूजा विधि:
- स्नान और शुद्धता: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। स्नान में गंगाजल मिलाएं।
- स्थापना: पूजा स्थल को साफ करें और शिवलिंग तथा शनि देव की मूर्ति स्थापित करें।
- अभिषेक: शिवलिंग और शनि देव पर जल, दूध, दही, शहद और घी चढ़ाएं।
- पूजा सामग्री:
- काला तिल: शनि देव को प्रसन्न करने के लिए।
- पीली वस्तुएं: शनि देव को प्रिय।
- लोहे की वस्तुएं और तेल का दीपक: शनि देव का प्रतीक।
- मंत्र जाप: शिव मंत्र और शनि मंत्र का जाप करें।
- आरती और दान: शिव और शनि देव की आरती करें। जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें।
महत्व और लाभ:
- शनि दोष का समाधान: इस दिन की गई पूजा शनि दोष को कम करती है।
- सुख-समृद्धि: पूजा से जीवन में सुख और शांति आती है।
- कर्म सुधार: शनि देव की पूजा से पिछले जन्मों के बुरे कर्मों का प्रायश्चित होता है।
सावधानियां:
- लोहे की वस्तुएं न दान करें।
- काले रंग के कपड़े पहनने से बचें।
शनि त्रयोदशी का आध्यात्मिक महत्व:
शनि देव को कर्म का देवता माना जाता है। इस दिन की गई पूजा से व्यक्ति को अपने जीवन में चल रही कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। साथ ही भगवान शिव की कृपा से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
शनि त्रयोदशी पर पूजा-अर्चना कर आप भी शनि देव और भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करें और अपने जीवन को सुखमय बनाएं।
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