
पिता की बात मानते तो डॉक्टर बनते, बेटी ने किताब में बताई मनमोहन सिंह के अर्थशास्त्री बनने की कहानी....
पूर्व प्रधानमंत्री और महान अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह का हाल ही में 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन के बाद उनकी बेटी दमन सिंह द्वारा लिखी गई किताब में साझा की गई एक घटना ने लोगों का ध्यान खींचा। इस किस्से से यह पता चलता है कि मनमोहन सिंह जी किस तरह अर्थशास्त्र की ओर आकर्षित हुए और कैसे उन्होंने अपने पिता की इच्छाओं से अलग अपना करियर चुना।
पिता बनाना चाहते थे डॉक्टर
डॉ. मनमोहन सिंह के पिता चाहते थे कि उनका बेटा डॉक्टर बने। इसके लिए उन्होंने मनमोहन सिंह को प्री-मेडिकल कोर्स में दाखिला दिलाया। लेकिन डॉक्टर बनने की इस राह में मनमोहन सिंह का झुकाव कहीं और था।
अर्थशास्त्र की ओर रुझान
दमन सिंह ने अपनी किताब में उल्लेख किया है कि कैसे उनके पिता ने प्री-मेडिकल की पढ़ाई छोड़कर अर्थशास्त्र को चुना। मनमोहन सिंह ने महसूस किया कि उनका असली जुनून अर्थशास्त्र में है। इस बदलाव ने न केवल उनकी जिंदगी बदली, बल्कि भारत को एक ऐसा अर्थशास्त्री दिया, जिसने देश को आर्थिक सुधारों के रास्ते पर अग्रसर किया।
एक महान अर्थशास्त्री का उदय
अर्थशास्त्र के क्षेत्र में मनमोहन सिंह का योगदान अविस्मरणीय है। 1991 के आर्थिक सुधारों से लेकर प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल तक, उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को स्थिरता और विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
दमन सिंह की किताब में उल्लेख
दमन सिंह ने अपनी किताब में इस घटना का जिक्र करते हुए बताया कि उनके पिता का यह फैसला कितना महत्वपूर्ण था। अगर मनमोहन सिंह डॉक्टर बनने का रास्ता अपनाते, तो शायद देश को एक ऐसा अर्थशास्त्री और नेता नहीं मिल पाता, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंच पर मजबूत बनाया।
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