
Hare Krishna Temple In Bengaluru
Hare Krishna Temple In Bengaluru: नई दिल्ली: बेंगलुरु के प्रसिद्ध हरे कृष्ण मंदिर के स्वामित्व और नियंत्रण को लेकर इस्कॉन बेंगलुरु और इस्कॉन मुंबई के बीच लंबे समय से चल रहा कानूनी विवाद अब समाप्त हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में स्पष्ट किया कि यह मंदिर इस्कॉन सोसाइटी बेंगलुरु के अधीन है। इस फैसले ने कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें मंदिर का नियंत्रण इस्कॉन मुंबई को सौंपा गया था।
Hare Krishna Temple In Bengaluru: सुप्रीम कोर्ट का फैसला
जस्टिस एएस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस्कॉन बेंगलुरु की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने 2009 के ट्रायल कोर्ट के आदेश को बहाल किया, जिसमें मंदिर पर इस्कॉन बेंगलुरु के कानूनी अधिकार को मान्यता दी गई थी और इस्कॉन मुंबई के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा जारी की गई थी।
Hare Krishna Temple In Bengaluru: विवाद की जड़ क्या थी?
यह कानूनी लड़ाई इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) की दो अलग-अलग इकाइयों—इस्कॉन बेंगलुरु और इस्कॉन मुंबई—के बीच थी। दोनों का आध्यात्मिक लक्ष्य एक होने के बावजूद, मंदिर और इससे जुड़े शैक्षणिक परिसर के नियंत्रण को लेकर विवाद था। इस्कॉन बेंगलुरु, जिसका प्रतिनिधित्व कोडंडाराम दास ने किया, ने 2 जून 2011 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जब कर्नाटक हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलट दिया था।
Hare Krishna Temple In Bengaluru: निचली अदालत ने मंदिर की संपत्ति पर इस्कॉन बेंगलुरु के दावे को स्वीकार किया था, लेकिन 23 मई 2011 को कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस्कॉन मुंबई के पक्ष में फैसला सुनाया। इस्कॉन मुंबई, जो सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम 1860 और बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट अधिनियम 1950 के तहत पंजीकृत है, ने दावा किया कि इस्कॉन बेंगलुरु उनकी शाखा मात्र है और मंदिर का असली स्वामित्व उनकी मूल संस्था के पास है।
Hare Krishna Temple In Bengaluru: इस्कॉन बेंगलुरु की दलील
इसके विपरीत, इस्कॉन बेंगलुरु ने तर्क दिया कि वह कर्नाटक कानून के तहत एक स्वतंत्र पंजीकृत सोसाइटी है और कई वर्षों से स्वायत्त रूप से हरे कृष्ण मंदिर का प्रबंधन कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद मंदिर परिसर का पूर्ण स्वामित्व और नियंत्रण अब इस्कॉन बेंगलुरु के पास है।