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गूगल ने हाल ही में अपनी नई Quantum Computing चिप ‘Willow’ का ऐलान किया है, जिसने टेक्नोलॉजी जगत में हलचल मचा दी है। Willow चिप बेहद जटिल कैलकुलेशन को पारंपरिक कंप्यूटरों की तुलना में कई गुना तेजी से कर सकती है। यह चिप डिजिटल दुनिया के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
क्वांटम कंप्यूटर और Willow चिप:
- Quantum कंप्यूटर पारंपरिक कंप्यूटरों से अलग होते हैं।
- जहां सामान्य कंप्यूटर 0 और 1 के फॉर्मेट में डेटा प्रोसेस करते हैं, वहीं Quantum कंप्यूटर ‘क्वबिट्स’ का इस्तेमाल करते हैं।
- ये क्वबिट्स एक साथ 0 और 1 दोनों हो सकते हैं, जिससे कंप्यूटिंग की रफ्तार और सटीकता बढ़ जाती है।
- Willow चिप इस दिशा में अब तक का सबसे बड़ा कदम है।
- बिटकॉइन की सुरक्षा के लिए एन्क्रिप्शन का उपयोग किया जाता है, जो पारंपरिक कंप्यूटरों से तोड़ा नहीं जा सकता।
- लेकिन, Quantum कंप्यूटर मिनटों में इस एन्क्रिप्शन को तोड़ सकते हैं।
- 1994 में विकसित एक विशेष एल्गोरिदम से Quantum कंप्यूटर बड़े नंबरों को तेजी से हल कर सकते हैं।
- ऐसे में बिटकॉइन की सिक्योरिटी टूटने और डिजिटल वॉलेट से चोरी होने का खतरा बढ़ जाता है।
- बिटकॉइन बिना किसी सरकारी या रेगुलेटरी प्रोटेक्शन के काम करता है।
- अगर बिटकॉइन चोरी हो जाए, तो उसे रिकवर करना संभव नहीं है।
- लगभग 17.2 लाख बिटकॉइन, जिनकी सार्वजनिक चाबियां पहले ही उजागर हो चुकी हैं, Quantum हैकिंग का शिकार हो सकते हैं। इनकी कीमत लगभग ₹13 लाख करोड़ है।
- यह बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी के लिए बेहतर सुरक्षा और तेज लेन-देन की राह खोल सकती है।
- ऑनलाइन बैंकिंग, स्वास्थ्य डेटा, और सरकारी सिस्टम जैसे क्षेत्रों में भी Quantum कंप्यूटिंग का असर देखने को मिलेगा।
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