अलविदा अनमोल 'रतन, पंचतत्व में विलीन हुए रतन टाटा....नम आँखों से पूरे देश ने दी विदाई....
Ratan Tata : भारत ने आज अपने अनमोल ‘रत्न’, रतन टाटा को नम आँखों से अंतिम विदाई दी। उनके निधन ने देशभर में शोक की लहर पैदा कर दी है। रतन टाटा का योगदान न केवल उद्योग जगत में, बल्कि समाजसेवा में भी अमूल्य रहा है।
जीवन और संघर्ष
- जन्म: रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ।
- शिक्षा: उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद 1961 में टाटा समूह में शामिल हुए।
- नेतृत्व: 1991 में, उन्होंने टाटा समूह का नेतृत्व संभाला और कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जैसे कि टाटा नैनो और जगुआर-लैंड रोवर का अधिग्रहण।
विरासत
रतन टाटा की कहानी केवल व्यवसाय तक सीमित नहीं है; उनका जीवन समाज सेवा के प्रति गहरे समर्पण से भरा रहा। उन्होंने टाटा ट्रस्ट के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक विकास के लिए कई योजनाएं चलाईं। उनका मानना था कि असली सफलता का अर्थ दूसरों की भलाई में योगदान करना है।
समाज सेवा
रतन टाटा ने स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार और गरीबों के लिए रोजगार सृजन पर जोर दिया। उनके द्वारा स्थापित कई अस्पताल और शिक्षण संस्थान आज भी समाज की सेवा कर रहे हैं।
अंत
9 अक्टूबर 2024 को उनका निधन हुआ, जो केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक युग का अंत था। उनकी प्रेरणादायक यात्रा हमें यह याद दिलाती है कि अगर हम अपने सपनों के लिए मेहनत करें और कभी हार न मानें, तो सफलता संभव है। रतन टाटा की विरासत हमेशा जीवित रहेगी, और उनका नाम भारतीय उद्योग में सम्मान के साथ लिया जाएगा।
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