
Gandhi Sagar Wildlife Sanctuary
Gandhi Sagar Wildlife Sanctuary
MANDSAUR M.P.LALITSHANKAR DHAKAD
Gandhi Sagar Wildlife Sanctuary : कूनो के बाद अब मंदसौर के गांधी सागर अभ्यारण्य में चीतों को बसाया जाएगा. एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील गांधी सागर के पास स्थित अभ्यारण्य क्षेत्र में अब विदेशी चीते बसाने की तैयारियां जोरों पर हैं.
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Gandhi Sagar Wildlife Sanctuary : देश में विलुप्त हो रहे ईको सर्कल के इस जीव की बढ़वार पर सरकार अब काफी गंभीर नजर आ रही है. वन विभाग ने गांधी सागर अभ्यारण्य में चीतों को बसाने के लिए एक पूर्ण व्यवस्थित और आधुनिक बाड़े का निर्माण कर लिया है.
यहां आने वाले चीतों का जन जीवन सुलभ हो सके, इसलिए सरकार की इनके आने से पूर्व अलग अलग पहल की जा रही है वहीं इसको लेकर देश सहित अन्य देशो के विशेषज्ञ यहाँ पहुँच रहे है और चितों की बसाहट वाले क्षेत्र पर गंभीरता से विचार विमर्श स्थापित कर रहे है l
भारत में चीतों की संख्या बढ़ाई जाने को लेकर मध्य प्रदेश के कई हिस्सों को उपयुक्त माना जा रहा है. कूनो के बाद सरकार अब मंदसौर जिले स्थित गांधी सागर बांध के किनारे बने अभ्यारण्य क्षेत्र में एक बाड़ा बनाकर चीतों को लाने की तैयारी कर रही है.
प्रदेश के उत्तर पश्चिमी इलाके को पर्यावरण के लिहाज से चीतों की बस्ती के अनुकूल माना जा रहा है. दरअसल, अफ्रीका से आने वाले इन वन्य जीव का जीवन भारत में सुलभ होगा या नहीं इस सवाल पर कई शोध किए गए हैं.
भारत सरकार के भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून एवं नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी द्वारा किए गए लंबे चिंतन के बाद वन विभाग का अमला इस फैसले पर पहुंचा है. जिसमें इस इलाके को चीतों के लिए सबसे उपयुक्त माना जा रहा है.
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गांधी सागर अभ्यारण्य में 6400 हेक्टेयर जमीन पर एक सुसज्जित बाड़े को तैयार की गई है. इस बाड़े में 12 फीट ऊंची लोहे की जालियां लगाकर उनके ऊपर तार लगाए गए हैं. इस बाड़े में चीतों के लिए भोजन, पानी और वनस्पति जैसी मूलभूत सुविधाओं का भी इंतजाम भी किया गया है.
चीतों की निगरानी के लिए यहां कैमरे भी लगाए गए हैं. इनकी मॉनिटरिंग के लिए उच्च अधिकारियों के कंट्रोल रूम से इन्हें जोड़ा गया है.अनुमान जताया जा रहा है कि इसी साल सर्दी के सीजन में साउथ अफ्रीका और नामीबिया से यहां चीते लाए जाएंगे.
Gandhi Sagar Wildlife Sanctuary
यहां की गई तैयारी के फाइनल निरीक्षण के लिए सरकार द्वारा बुलाए गए केन्या के 6 सदस्य के दल ने बाड़े और अभ्यारण्य का निरीक्षण किया है. केन्या से आए दल ने यहां जलवायु के अलावा चीतों की मूलभूत सुविधाओं के विकास का भी जायजा लिया.
यहां आने वाले चीतों के भोजन के लिए सरकार ने चितलों की संख्या भी बढ़ा दी है. केन्या के दल की सहमति के बाद सरकार अब इसी साल विदेशी चीतों को यहां लाने की तैयारी कर रही है.
चितों के भोजन के लिए 350 से अधिक चितल गाँधीसागर अभ्यारण क्षेत्र मे अभी तक छोड़े जा चुके है वहीं अब 400 से अधिक काले हिरण लाने की तैयारी की जा रही है तो वहीं प्रदेश के अलग-अलग वन अभ्यारण क्षेत्र से लगभग 1000 चितल और आना बाकि है
यही कारण है की गाँधीसागर अभ्यारण क्षेत्र मे चितों के भोजन की उपयुक्त व्यवस्था ना होने से चिता प्रोजेक्ट लेट होता दिखाई दे रहा है.बात करे गाँधी सागर अभ्यारण क्षेत्र मे की गई व्यवस्था की तो गांधी सागर अभयारण्य क्षेत्र मे चीतों के लिए 67 वर्ग किमी क्षेत्र मे एक बाड़ा तैयार
किया जा रहा है। यहां 12 हजार 500 गड्ढे खोदकर हर तीन मीटर की दूरी पर लोहे के पाइप लगाए गए हैं। इन पिलर पर तार फेंसिंग के साथ लोहे से 28 किलोमीटर लंबी और 10 फीट ऊंची दीवार बनाई जा रही है। इसके 3 फीट ऊपर सोलर तार लगाए गए हैं। इनसे सोलर सिस्टम
से बिजली सप्लाई होगी। किसी स्थिति में चीतों ने बाड़ा क्रॉस करने की कोशिश की, तो उन्हें करंट का झटका लगेगा।
दीवार के हर 7 किलोमीटर की दूरी पर सोलर पॉइंट बनाए गए हैं। इससे दीवार के ऊपर लगाए तार में करंट प्रवाहित किया जाएगा।
बाड़े का काम करीब पूरा हो गया है। गांधीसागर वन अभयारण्य 369 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। 28 किलोमीटर लंबे बाड़े की जाली लगाने में करीब 17 करोड़ 70 लाख से अधिक की लागत आई है। वन क्षेत्र में कैमरे भी लगाए गए हैं। प्रोजेक्ट में 30 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।