
Gaganyaan Mission : गगनयान मिशन पर इसरो का बड़ा अपडेट: 90% काम पूरा, अब 2027 में होगा मानवयुक्त उड़ान परीक्षण
Gaganyaan Mission : नई दिल्ली : भारत के बहुप्रतीक्षित पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ को लेकर इसरो ने अहम जानकारी साझा की है। इसरो के चेयरमैन वी. नारायणन ने मंगलवार को दिल्ली स्थित नेशनल मीडिया सेंटर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि मिशन का 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और अब यह योग्यता परीक्षण के अंतिम चरण में है। हालांकि, मानवयुक्त मिशन का प्रक्षेपण अब 2027 की पहली तिमाही तक के लिए टाल दिया गया है।
Gaganyaan Mission : 2027 में अंतरिक्ष में मानव भेजेगा भारत
गगनयान मिशन के तहत भारत पहली बार स्वदेशी तकनीक से अंतरिक्ष में मनुष्य को भेजेगा। यदि यह मिशन सफल रहता है, तो भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद स्वतंत्र रूप से मनुष्यों को अंतरिक्ष में भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा।
इसरो प्रमुख ने जानकारी दी कि 2025 और 2026 में तीन मानवरहित परीक्षण मिशन किए जाएंगे। पहला मानवरहित मिशन इसी साल के अंत तक लॉन्च होने की संभावना है। इन मिशनों का उद्देश्य गगनयान यान की सुरक्षा, प्रणाली की विश्वसनीयता और जीवन रक्षक तकनीकों का परीक्षण करना है।
Gaganyaan Mission : ‘व्योममित्र’ रोबोट जाएगा पहले
इसरो अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने से पहले मिशन के तहत एक अर्ध-मानव रोबोट ‘व्योममित्र’ को अंतरिक्ष में भेजेगा। यह रोबोट अंतरिक्ष यान में मौजूद जीवन समर्थन प्रणाली की जांच करेगा और मानव मिशन की तैयारी को अंतिम रूप देगा।
Gaganyaan Mission : कोविड और तकनीकी जटिलताओं ने रोकी रफ्तार
गगनयान मिशन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान की थी और इसे 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन कोविड-19 महामारी, अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण में बाधाएं और तकनीकी जटिलताओं के चलते यह मिशन कई बार टल चुका है। पहले यह 2025 में होना था, फिर 2026 निर्धारित हुआ और अब इसे 2027 की पहली तिमाही तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
Gaganyaan Mission : मानव-रेटेड लॉन्च व्हीकल और ECLSS तैयार
गगनयान मिशन के लिए इसरो ने मानव-रेटेड लॉन्च वाहन विकसित किया है, जो अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी से 400 किलोमीटर ऊपर निचली कक्षा में भेजेगा। इसके अलावा वैज्ञानिकों ने एनवायरनमेंट कंट्रोल एंड लाइफ सपोर्ट सिस्टम (ECLSS) भी तैयार किया है, जो अंतरिक्ष यान के भीतर दबाव, तापमान, वायु गुणवत्ता और व्यक्तिगत स्वच्छता जैसे मानकों को नियंत्रित करेगा।
Gaganyaan Mission : स्पैडेक्स-2 की तैयारी
नारायणन ने बताया कि हाल ही में PSLV रॉकेट से किए गए दो उपग्रहों के सफल अंतरिक्ष डॉकिंग परीक्षणों से इसरो को महत्वपूर्ण तकनीकी अनुभव मिला है और अब संगठन स्पैडेक्स-2 (SPADEX-2) की योजना बना रहा है, जिससे भविष्य में अंतरिक्षयानों की डॉकिंग को और बेहतर किया जा सकेगा।
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