फडणवीस कैबिनेट बनाम शिंदे कैबिनेट संख्या और स्वरूप में बड़ा अंतर
महाराष्ट्र : देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में महाराष्ट्र में नई महायुति सरकार ने कैबिनेट विस्तार कर 42 मंत्रियों को शामिल किया है। यह नई कैबिनेट न केवल संख्या में बड़ी है, बल्कि इसमें क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरणों का भी खास ख्याल रखा गया है। इस मंत्रिमंडल में सत्ता में शामिल तीनों दलों – भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट), और एनसीपी (अजित पवार गुट) के नेताओं को संतुलित रूप से प्रतिनिधित्व दिया गया है।
मराठा समुदाय: कैबिनेट में मराठा नेताओं को प्रमुख स्थान दिया गया है।
ओबीसी: पिछड़े वर्ग के नेताओं को भी मंत्रिमंडल में अच्छी खासी जगह दी गई है।
अनुसूचित जाति/जनजाति: इन वर्गों के नेताओं को भी मंत्रिमंडल में शामिल कर संतुलन बनाने की कोशिश की गई है।
मुस्लिम समुदाय: फडणवीस कैबिनेट में मुस्लिम प्रतिनिधित्व कम हो गया है। जहां शिंदे कैबिनेट में 2 मुस्लिम मंत्री थे, वहीं फडणवीस सरकार में केवल 1 मुस्लिम मंत्री को शामिल किया गया है।
मुख्य विभाग और जिम्मेदारियां:
गृह मंत्रालय: भाजपा के वरिष्ठ नेता को यह महत्वपूर्ण विभाग सौंपा गया है।
वित्त मंत्रालय: अजित पवार ने इस विभाग को संभाल कर अपनी पकड़ मजबूत की है।
शहरी विकास: शिवसेना (शिंदे गुट) को यह विभाग दिया गया है।
ग्रामीण विकास: भाजपा और शिवसेना दोनों ने इस पर फोकस किया है।
राजनीतिक विश्लेषण:
भाजपा का दबदबा: भाजपा ने कैबिनेट में अपना सबसे बड़ा हिस्सा बनाए रखा है।
संतुलन की कोशिश: महायुति के घटकों को संतुष्ट करने के लिए विभागों का बंटवारा बड़ी रणनीति के तहत किया गया है।
चुनौतियां: मुस्लिम प्रतिनिधित्व में कमी और कुछ वर्गों की नाराजगी भविष्य में चुनौती बन सकती है।
फडणवीस सरकार का संदेश:
42 मंत्रियों की इस मजबूत कैबिनेट के जरिए फडणवीस सरकार ने यह संदेश दिया है कि वे महायुति के सभी घटकों को साथ लेकर चलना चाहते हैं। यह सरकार न केवल राजनीतिक संतुलन साधने पर जोर दे रही है, बल्कि राज्य के विकास और जनता की समस्याओं का समाधान करने का दावा भी कर रही है।
यह कैबिनेट विस्तार महाराष्ट्र की राजनीति में महायुति की मजबूती और फडणवीस के नेतृत्व की दिशा तय करने वाला कदम साबित हो सकता है।