बिलासपुर: जेल में वसूली का खेल : जेल में तरह-तरह के खेल हो रहे हैं. यह खेल अलग तरह का है. यह खेल उस तरह का खेल नहीं है, जो प्रतिस्पर्धा में होते हैं या कोई संस्था कंपटीशन करवती है. जेल में कोई जाता है तो माना जाता है कि वह समाज से कट गया है. उनका समाज से कोई सीधा संपर्क नहीं है.
जब कभी उनके परिवारजनों को, दोस्तों को या रिश्तेदारों को मिलने की जरूरत होती है या मिलना चाहते हैं, तब जाकर बहुत संक्षिप्त भेट करते हैं और लगता है कि वह बाहर की दुनिया से बेखबर हैं,
पर ऐसा नहीं है. जेल के भीतर बंद लोग तरह-तरह के गेम चलाते हैं और गैंग चलाते हैं. तरह-तरह की वसूली करते हैं. जब यह बात बाहर निकाल कर आती है तो चौकाती है कि तिहाड़ जेल से लेकर बिलासपुर, रायपुर और दुर्ग तक की जेलों में बंद अपराधी जेल में भी बैठकर बहुत सारा काम करते हैं.
जेल में वसूली का खेल : कारागार में नशे का कारोबार
अभी हाल में एक घटना हुई है. बिलासपुर केंद्रीय जेल में कैदियों से जबरन वसूली और नशे के समान के सप्लाई के आरोप में लगे हैं. परिवारजनों ने इस मामलों को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में शिकायत दर्ज करवाई है
और आरोप लगाया है कि जेलर,प्रहरी और एक कैदी ने जेल के अंदर अपना दबदबा बना रखा है और पैसे की उगाही कर रहा है. बिलासपुर सेंट्रल जेल में नशे का गोरखधंधा कैदियों के लिए अलग-अलग नशा उपलब्ध कराने के रेट लिस्ट
तय है बीड़ी का कट्टा 200 रुपये, तम्बाकू का पैकेट 100 रुपये, गांजा का जीपर 500 रुपये, और नाईट्रा गोली 100 रुपये के हिसाब से बेची जा रही है.ये आरोप जेल में बंद कैदियों के परिजनों ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर लगाए हैं.
जेल में वसूली का खेल : कैदियों से उगाही का कांट्रैक्ट
पत्र में परिजनों का आरोप है कि जेल अधीक्षक ने कैदी अनिल सिंह को अपनी वसूली के लिए नियुक्त किया है. वह कैदियों और हवालातियों से बैरक में जगह देने और अन्य सुविधाओं के नाम पर पैसे वसूल रहा है. इसके अलावा,
नारायण सिंह नामक सप्लायर जेल में घटिया सामान सप्लाई कर रहा है और अधिकारियों को मोटी रकम देकर अपना धंधा चला रहा है. परिजनों ने अवैध गतिविधि पर सख्त कार्रवाई की मांग की है. देशभर की जेलें इससे अछूती नहीं हैं.
जेल में वसूली का खेल : जेल में भी सामानांतर सत्ता
इस मामले में हम देख रहे हैं कि परिवारजनों ने आरोप लगाया है. हालांकि हम इसकी पुष्टि नहीं कर सकते हैं. मगर, जो चिट्ठी मुख्य न्यायाधीश हो गई है वह उसकी जांच करेंगे. लेकिन यह बात निकाल कर हमेशा सामने आती है जेल के
भीतर भी एक समानांतर सत्ता चलती है. जब जेल में कभी अचानक छापे पड़ते हैं तो कई प्रकार की अनियमिता पाई जाती है. अभी हाल में दुर्ग जेल में छापेमारी हुई तो बहुत सारी खामियां पाई गई. आज जेल के भीतर कैदियों को बहुत
सारी सुविधाएं मिलती हैं, खासकर जो कैदी पैसे वाले और रसूखदार होते हैं उनको हर तरह की सुविधा मिलती हैं. वहीं कुछ लोग बीमार होते हैं तो उनको अस्पताल भी भेजा जाता है. कई लोगों को घर का खाना दिया जाता है. किसी को अच्छा बिस्तर भी दिया गया है.
जेल में वसूली का खेल : जैसी पहचान वैसा मिलेगा मान
दरअसल, जेल में जैसी जिसकी पहचान होती है या जो पावरफुल होता है या जो सत्ता के नजदीक होता है. उसे बहुत तरह की सुविधा मिलती हैं, जबकि सच्चाई यह है की जेल कैदी को समाज से अलग करता है उसका सामाजिक
संबंध टूट जाता है. हालांकि अब देश में वैसे जेल नहीं हैं, जो अंग्रेजों के जमाने में हुआ करते थे. जेल अब सुधार घर बन गया है और यह कोशिश होती है कि जो बंदी वहां आए उनके आचरण और व्यवहार में सुधार आए. वह अपना समय
सकारात्मक भूमिका अदा करने में लगाए. अपना समय अच्छे तरीके से बिताए. कुछ पढ़ने-लिखने में लगाए या जो काम उनको आता है वह करे और उससे आय अर्जित करने का प्रयास करे. इस तरह की सकारात्मक चीज भी जेल में होती है
और कई तरह के प्रयोग भी किया जा रहे हैं कि कैदियों में सुधार हो. अभी हम बात कर रहे हैं जेल में चलने वाले अवैध धंधे की या अवैध वसूली की. यह वसूली सुविधाओं के नाम पर होती है और इसकी खबर वायरल हुई है उसकी बात कर रहे हैं.
जेल में वसूली का खेल : तिहाड़ में चलता है वसूली का तिकड़म
देश की सबसे सुरक्षित तिहाड़ जेल का भी यही हाल है. तिहाड़ जेल में भी सुविधा के नाम पर मोटी वसूली का खेल बदस्तूर जारी है। दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन का मामला हो या फिर महाठग सुकेश चंद्रशेखर को जेल के अंदर
सुविधा पहुंचाने के नाम पर करोड़ों की वसूली का। जेल के अंदर की गतिविधियां संदेह के घेरे में रही हैं। हाल में ही मोबाइल कंपनी के मालिक हरिओम राय से सुविधा शुल्क के नाम पर पांच करोड़ रुपये वसूलने का आरोप है। यह भी
जानकारी सामने आई है कि अपेक्षा के अनुरूप रकम नहीं मिलने पर दबाव बनाने के लिए लावा के मालिक को दूसरी जेल में स्थानांतरित कर दिया गया। यह स्थिति तब है जब बीते नवंबर में तिहाड़ के जेल नंबर सात में बंद ईडी के 85
बंदियों को सुविधाएं मुहैया कराने की बात सामने आने पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने जांच का आदेश दिया था। बीते कुछ वर्षों में विभिन्न प्रकरणों में शामिल 100 से ज्यादा जेल अधिकारी और कर्मी निलंबित भी किए जा चुके हैं।
जेल में फैले भ्रष्टाचार व अव्यवस्था के कारण दो साल पूर्व जेल के तत्कालीन डीजी संदीप गोयल भी निलंबित हो चुके हैं फिर भी व्यवस्था में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है।
जेल में वसूली का खेल : बैरक में ही कैदियों की पिटाई
दुर्ग सेंट्रल जेल में बंद एक कैदी ने अवैध वसूली और मारपीट का आरोप लगाया था। यह शिकायत पीड़ित ने जेल से छूटने के बाद आईजी से की है। शिकायत में पीड़ित ने आईजी को बताया था
कि उसके साथ मुख्य प्रहरी समेत अन्य कैदियों के पिटाई करते थे। इतना ही नहीं इसी जेल में महादेव सट्टा ऐप मामले में बंद आरोपी दीपक ने भी उसके साथ पिटाई की है। शिकायत के बाद इस मामले की सभी एंगल से जांच की जा रही
है। मध्य प्रदेश के देवास जिला जेल में कैदियों से अवैध वसूली और मारपीट का मामला सामने आया है. आरोप है कि जेल में बंद वीरेंद्र नामक कैदी से 50 हजार रुपये की मांग की थी, पैसे नहीं देने पर उसके साथ जमकर मारपीट की गई.
ब्यावर सब जेल में भी बंदियों के साथ मारपीट कर परिजनों से डरा धमका कर अवैध वसूली का मामला आया था. जेल में बंदी को नुकसान नहीं पहुंचाने के एवज में साथी बंदी द्वारा रकम वसूली के लिए परिजन को मोबाइल पर धमकाया
गया। ग्वालियर के जलालपुर के मलखान लोधी ने वीडियो बनाकर जेल प्रबंधन पर अवैध वसूली के गंभीर आरोप लगाए थे। प्रशासनिक जेलर उप जेल अधीक्षक और जेल प्रहरी पर गंभीर आरोप लगे थे। वीडियो में बताया गया था कि जेल के
अंदर अंडर ट्रायल मुजरिमों से जबरन काम कराया जाता है। काम से बचना है तो 10 हजार से 1 लाख तक की रकम चुकानी होती है। जिन कैदियों को सजा कोर्ट से मिलती है सिर्फ उन्हीं से ही काम लिया जाता है।
जेल में वसूली का खेल : बिहार के सिवान में भी भ्रष्टाचार
बिहार का सिवान जेल का एक वीडियो वायरल हुआ था. जो बताता है कि जेलों में कितना भ्रष्टचार फैला हुआ है. जेल में वो सभी सुविधाएं मिल जाएंगी जो बाहर मिलती हैं. बशर्ते इसके लिए आपको जेल सिपाहियों की हथेली गर्म करनी होगी.
जेल के भीतर वसूली तंत्र अपनी मजबूत जड़ें फैला चुका है. पैसे देकर कोई कभी भी मिल सकता है. इसकी बानगी तब देखने को मिलती है जब जेल के अंदर छापेमारी होती है और वहां कई तरह की चीज मिलती हैं और यह पता चलता है
कि वहां बंद कैदी बाहर से कुछ भी हासिल कर सकता है. ऐसे कारागारों में जेल मैनुअल सिर्फ मजाक बनकर रह गया है. उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर की जेल में वसूली का खेल चल रहा था। इस जेल के फोन नंबर से जेल में बंद
विचाराधीन कैदियों के परिजनों को कॉल किया जा रहा है। परिजनों से 2-2 लाख रुपये मांगे जा रहे हैं। जिन लोगों ने पैसे देने से इनकार किया है, उनके विचाराधीन कैदी को यातनाएं दी जा रही हैं।
जेल में वसूली का खेल : गैंगस्टर के बारे में भी जानें
अब यहां बात हो रही है देश में दाऊद इब्राहिम के बाद सबसे ज्यादा चर्चित गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई जो फिलहाल गुजरात के साबरमती जेल में बंद है. लॉरेंस बिश्नोई अब क्राइम की दुनिया का बड़ा नाम बन गया है. कुछ साल पहले तक वह
छोटे-मोटे मामलों में वांछित होता था. मगर, अब वह कुछ सालों से हाई प्रोफाइल मर्डर में शामिल रहा है. हैरान करने वाली बात ये है कि हत्याओं की साजिश जेल में रची जाती है. सुपारी के लिए शूटर्स को हायर किया जाता है और वारदात
को अंजाम दिया जाता है. बाबा सिद्दीकी की हत्या की प्लानिंग पटियाला जेल में हुई. वहां लॉरेंस बिश्नोई गैंग के गुर्गों ने मोहम्मद जीशान अख्तर को बाबा सिद्दीकी की हत्या की जिम्मेदारी दी. जीशान अख्तर जून में ही जेल से बाहर आया
था. बिश्नोई का जेल से बाबा सिद्दीकी हत्याकांड को अंजाम देना और उसकी जिम्मेदारी लेना बताता है कि उसका गैंग कितना पावरफुल है. वह जेल होते हुए घोषणा करता है कि उसने बाबा सिद्दीकी की हत्या करवाई है.
जेल में वसूली का खेल :बिश्नोई का रायपुर कनेक्शन भी समझें
यह उसके गिरोह के मजबूत नेटवर्क और उसकी आपराधिक दुनिया में गहरी पैठ को दिखाता है. वह जेल में बैठकर न सिर्फ अपना गैंग चला रहा है, बल्कि वारदात को अंजाम देने के लिए मजबूत नेटवर्क भी बना लिया है. गैंगस्टर लॉरेंस
बिश्नोई के करीबी अमन साहू को रायपुर पुलिस ने रिमांड पर लिया है। पूछताछ में कई अहम राजफाश हो रहे हैं। तेलीबांधा और छत्तीसगढ़ के लगभग 12 कारोबारी गैंगस्टर के निशाने पर हैं। बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा और रायपुर के
कोयला कारोबारी और ठेकेदार निशाने पर हैं। कई पर लेवी वसूलने के लिए गोलीबारी भी की गई है। झारखंड में जिनका काम चल रहा है, उनसे रंगदारी वसूलने के लिए लगातार फोन कर धमकी दी जा रही। लॉरेंस बिश्नोई और अमन
साहू गैंग के जेल में बंद होने के बाद बाहर का पूरा काम कनाडा में बैठकर मयंक सिंह संभाल रहा है। यह बात पुलिस की पूछताछ के बाद मीडिया में सामने आई है. लॉरेंस बिश्नोई के निर्देश के बाद वह फिरौती, हत्या, अपहरण जैसी
वारदात के लिए गुर्गे उपलब्ध करवाता है। देश में चुकी बेरोजगारी बहुत है इसलिए गैंगस्टर अपने गुरुओं को अच्छे पैसे का लालच देकर उनसे वारदात करवाते हैं इनको हथियार उपलब्ध कराए जाते हैं. अमन साहू का फेसबुक अकाउंट सुनील मीणा नाम का व्यक्ति मलेशिया से चला रहा है.
समाज में रहता है इंसान
ऐसी बहुत सारी बातचीत पुलिस डिमांड के दौरान सामने आई हैं. पुलिस पूछताछ कर रही तो और भी बहुत से खुलासे हो रहे हैं. हम किसी गैंगस्टर की नहीं करना चाहते हैं. हम बात कर रहे हैं जेल के भीतर की व्यवस्था की. माना जाता है
कि जेल में बाद होने के बाद आपके सारे संपर्क कट जाते हैं. ऐसा लगता है कि इस दुनिया का सबसे बड़ा सामाजिक प्राणी मनुष्य है. उसे समाज में रहना अच्छा लगता है. उसे समाज में आजादी मिलती है, लेकिन जेल में यह आजादी छिन
जाती है. किसी को कोई अपराध या घटना में शामिल होने के कारण जेल में बंद कर दिया जाता है तो उसे बाहर जैसी सहूलियत या आजादी नहीं मिलती है. राजनीतिक कारणों से भी बहुत सारे लोग जेल में होते हैं हालांकि कुछ निर्दोष और
गरीब भी मजबूरी में जेल में बंद होते हैं, क्योंकि उनके पास जमानत तक के लिए पैसे नहीं होते हैं. या सजा के साथ लगाए गए जुर्माना अदा करने के पैसे नहीं होते हैं.
हाल में ही एक बडा व्यक्ति जेल में बाद था. उसने देखा कि जेल में बहुत से बंद ऐसे कैदियों हैं, जो आर्थिक दंड नहीं भरने के कारण अभी तक बंद हैं.
सलमान खान भी गैंगस्टर के निशाने पर
उनके लिए उसने आर्थिक व्यवस्था की. उनका जुर्माना भरा और उनलोगों को बाहर निकलने में मदद की. ऐसे करीब सौ-दो सौ कैदी थे, जिनको जेल से मुक्ति दिलाई. वह कैदियों के बीच में एक हीरो की तरह है.
समाज में भी यह संदेश गया कि उसने कितना बड़ा काम किया है. इसके बावजूद कई निरपराध और गरीब अभी जेल में बंद हैं, जिनकी सजा पूरी हो चुकी है. इसी जेल में बहुत सारे गैंगस्टर भी बंद होते हैं. बड़े अपराधी भी कैद होते हैं.
हम तपन सरकार का नाम अक्सर सुनते रहते हैं. अब बिश्नोई गैंग का नाम आ रहा है. अमन साहू का नाम भी आ रहा है. ऐसे बीच-बीच में बहुत सारे नाम आते हैं. जेल में लंबे समय तक रहने के कारण उनका जेल के प्रहरी, प्रशासन और वहां
पहले से बंद कैदी से संपर्क बनता है और फिर बाहर की दुनिया से वह लोग संपर्क बनाते हैं. आज मोबाइल नेटवर्क के जरिए बहुत सारे मैसेज बाहर भेजते हैं. जब बड़ी-बड़ी वारदाते होती हैं तो जेल में बंद गैंग्स्टरों इस बात का क्रेडिट लेने
की होड़ मच जाती है कि इस वारदत में उनका हाथ है. इस वारदात में उनका और उनके लोगों का हाथ है. बिश्नोई गैंग बहुत पावरफुल है. वह सिनेमा स्टार सलमान खान को भी जान से मारने की धमकी दे रहा है. बाबा सिद्ध की हत्या भी
कर चुका है और उसने बहुत से लोगों को धमकी दे रखी है कि अपने अंजाम के लिए तैयार रहे. अब अगर आप यह सोचते हैं कि कोई आदमी जेल चला गया और जेल में बंद होने के कारण वह किसी को नुकसान नहीं पहुंचा सकता है.
वह जेल से वह वसूली नहीं कर सकता है तो आप भ्रम में है. हाल की घटना है, जेल से चिट्टियां आ रही है, फिरौती मांगी जा रही है. यह इस बात की पुष्टि करती है कि जेल से बैठकर भी अपराधी वारदात को अंजाम देता है. हाल में बिलासपुर
का मामला आया है. कैदी के परिजनों ने हाई कोर्ट के जज को पत्र लिखकर शिकायत की है कि जेल के भीतर सब कुछ होता है, सब कुछ ठीक नहीं है. जेल के अंदर जो खेल हैं. वह जेल मैन्युअल का मजाक उड़ा रहे हैं. उसका खुलेआम
उल्लंघन कर रहे हैं. हम यह उम्मीद करते हैं कि समाज जो अपराधी प्रवृत्ति के हैं और किन्ही विकरणों से जिनको जेल में निरोध किया गया है, चाहे वह विचाराधीन हो या सजायाफ्ता हो. जेल में एक व्यवस्था होनी चाहिए. अब तो सीसीटीवी
कैमरे लगे हुए हैं. आपकी बहुत सारी गतिविधियां उसमें कैद होती हैं, जो चिट्ठी वायरल हो रही है. इससे पता चलता है कि जेल की हालत ठीक नहीं है. उसके जिम्मेदार लोग जेल के प्रहरी और जेलर है. जेल प्रशासन को और उसकी
व्यवस्था को सभी संगठन, मानवाधिकार आयोग या जो लोग निगरानी रख सकते हैं, उनको भी यह सोचने की जरूरत है कि जेल भले ही सुधार गृह हो और वहां से निकले तो एक अच्छा नागरिक बने जेल के भीतर से लोग खेलना कर पाए.
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