
जाल में जल संसाधन विभाग के ई ई क़ायदे -क़ानून को ठेंगा दिखा विदेश दौरे पर गए प्रभारी कार्यपालन अभियंता
भाटापारा। जाल में जल संसाधन विभाग के ई ई : नियम – कायदे के जाल में जल संसाधन विभाग के ई ई फंसते हुए दिखाई दे रहे हैं। विभाग के EE व्ही के सिरमौर शासन – प्रशासन के नियम कायदे को ठेंगा दिखा कर विदेश दौरे पर चले गए हैं। वो 17 से 30 दिसंबर तक मलेशिया और सिंगापुर यात्रा पर हैं। उनकी ये यात्रा ही शासन की पारदर्शिता और अनुशासन पर ही सवाल खड़े करती है।
जाल में जल संसाधन विभाग के ई ई : क्या कहते हैं क़ायदे – कानून
दरअसल सरकारी नियम – क़ायदे के तहत, किसी भी बड़े सरकारी अधिकारी को विदेश यात्रा के लिए पहले शासन से अनुमति लेनी पड़ती है। मंजूरी की प्रक्रिया में कई औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं। इनमें यात्रा का उद्देश्य, यात्रा का खर्च और अन्य शर्तों की स्पष्टता को शामिल किया गया है। तो वहीं विभागीय सूत्रों के अनुसार , EE सिरमौर ने इन प्रक्रियाओं को पूरी तरह नजरअंदाज किया है।
खुद के खर्च पर मिली है मंजूरी
असल में सिरमौर को इंद्रजीत ऊईके कार्यालय प्रमुख अभियंता ने खुद के खर्च पर यात्रा की मंजूरी दी है। लेकिन विभागीय तहकीकात में यह मिला है कि यह अनुमति शासन की अनुमति के बगैर दी गई है, जो नियमों के विपरीत है। प्रमुख अ भियंता कार्यालय ने जारी आदेश में भी साफ लिखा गया है कि यात्रा का पूरा खर्च स्वयं वहन करेंगे। विदेश में किसी भी प्रकार की सेवा या सुविधा नहीं ग्रहण करेंगे । उनको किसी सक्षम अधिकारी से अवकाश जरूर मंजूर कराना होगा। यात्रा के दौरान किसी भी अप्रत्याशित घटना कीजवाबदेही भी स्वयं सिरमौर की होगी। इन सारी शर्तों के पर सिरमौर बिना शासन की अनुमति विदेश चले गए,उनके जाते ही मामले ने तूल पकड़ लिया है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार अफसर
बगैर अनुमति के कर रहे हैं विदेश यात्रा- अपर सचिव
जलसंसाधन विभाग के अपर सचिव प्रेम सिंह घरेद्र ने कहा कि शासन ने प्रभारी EE वीके सिरमौर को विदेश यात्रा की कोई अनुमति नहीं दी है। हमारे पास उनका कोई एप्लिकेशन भी नहीं आया है। विभाग प्रमुख को भी ऐसा अधिकार नहीं है कि वे शासन की मंजूरी के बिना अनुमति दें। यह नियमों का उल्लंघन है।
सचिव प्रेम सिंह घरेद्र
अपर सचिव
जल संसाधन विभाग
15 साल से जमें हैं बलौदाबाजार में
अब तो सिरमौर की पोस्टिंग को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। वे पिछले 15 वर्षों से लगातार बलौदाबाजार और आसपास के क्षेत्रों में जमें हैं। शासन की स्थानांतरण नीति के मुताबिक़ , किसी भी अधिकारी को लंबे समय तक एक ही क्षेत्र में पदस्थापित नहीं किया जा सकता है। सिरमौर की पोस्टिंग विभागीय स्थानांतरण नीति को भी ठेंगा दिखा रही है।
विधानसभा सत्र से ठीक पहले यात्रा
श्री सिरमौर की विदेश यात्रा विधानसभा सत्र के ठीक पहले हुई , जब उनकी हाज़िरी वहां बेहद जरूरी थी। इस समय पर विदेश यात्रा प्रशासनिक जिम्मेदारी का साफ़ -साफ़ उल्लंघन है,वही यह नैतिक जिम्मेदारी पर भी सवाल खड़ा करता है। अब देखना होगा कि शासन -प्रशासन इस मामले में क्या कार्यवाही करता है।