
पेट्रोल में बढ़ी इथेनॉल की मात्रा से वाहन चालकों को दिक्कत, इंजन खराब होने की बढ़ी शिकायतें....
डबरा। पेट्रोल में इथेनॉल की मात्रा बढ़ने से वाहन चालकों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पहले जहां पेट्रोल में 12% इथेनॉल मिलाया जाता था, अब इस मात्रा को 20% कर दिया गया है। इसके चलते वाहन चालकों की गाड़ियों में खराबी आने लगी है, जिससे उनकी जेब पर अतिरिक्त खर्च का बोझ पड़ रहा है।
इंजन हो रहे कबाड़
कई वाहन चालकों ने शिकायत की है कि इथेनॉल युक्त पेट्रोल भरवाने के बाद उनके वाहन न तो ठीक से स्टार्ट हो रहे हैं और न ही पहले की तरह लोड ले पा रहे हैं। इंजन की परफॉर्मेंस खराब हो रही है, जिससे मरम्मत का खर्च 10 से 12 हजार रुपये तक पहुंच रहा है।
विवाद
वाहनों में बढ़ती समस्या को लेकर पेट्रोल पंप संचालक और ग्राहक आमने-सामने आ गए हैं। ग्राहक अपनी गाड़ियों की खराबी के लिए पेट्रोल पंपों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, जबकि पंप संचालक इसे अपनी गलती मानने से इनकार कर रहे हैं और उच्च अधिकारियों से शिकायत करने की सलाह दे रहे हैं।
पेट्रोल पंप पर हंगामा
इसी तरह का एक मामला डबरा के पुत्तू लाल पेट्रोल पंप पर सामने आया, जहां अरमान खान ने अपनी बुलेट मोटरसाइकिल में पेट्रोल भरवाया, लेकिन कुछ ही समय बाद उनकी गाड़ी ने ठीक से काम करना बंद कर दिया। जब उन्होंने इसे मिस्त्री के पास ले जाकर दिखाया, तो मरम्मत का खर्च 10-12 हजार रुपये बताया गया, जिससे अरमान के होश उड़ गए। गुस्से में उन्होंने पेट्रोल पंप पर पहुंचकर हंगामा किया।
पेट्रोल पंप संचालक बोले – ‘हमारी नहीं, सरकार की गलती’
पेट्रोल पंप कर्मचारियों ने बताया कि इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। पहले पेट्रोल में 12% इथेनॉल मिलाया जाता था, लेकिन अब 20% कर दिया गया है, जिसके कारण अधिकांश वाहन चालकों को यह समस्या हो रही है। कर्मचारियों ने भी इस मुद्दे को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा दिया है।
इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के दुष्प्रभाव:
इंजन जल्दी खराब हो रहा है गाड़ियों की माइलेज प्रभावित हो रही है लोडिंग क्षमता घट रही है मरम्मत का खर्च बढ़ रहा है पेट्रोल पंपों पर ग्राहकों और कर्मचारियों के बीच विवाद बढ़ रहे हैं
क्या कहता है विशेषज्ञों का कहना?
वाहन इंजीनियरों का कहना है कि इथेनॉल एक प्रकार का अल्कोहल है, जो पेट्रोल में मिलाने पर इंजन के पुर्जों को जल्दी जंग लगा सकता है और वाहनों के फ्यूल सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकता है। खासतौर पर पुराने मॉडल की गाड़ियों पर इसका ज्यादा असर पड़ रहा है।
सरकार और पेट्रोलियम कंपनियों से उठी मांग
वाहन मालिकों और पेट्रोल पंप संचालकों ने सरकार और पेट्रोलियम कंपनियों से इस समस्या का समाधान निकालने की मांग की है। वे चाहते हैं कि या तो इथेनॉल की मात्रा को घटाया जाए या फिर वाहनों को इससे बचाने के लिए जरूरी गाइडलाइंस जारी की जाएं।
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