Donald Trump: अमेरिका : 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अपने भाषण में कई विवादास्पद घोषणाएं कीं, जिनमें सबसे अधिक चर्चा ट्रांसजेंडर अधिकारों पर उनके फैसले को लेकर हो रही है। उन्होंने घोषणा की कि अब अमेरिका में केवल दो लिंगों—पुरुष और महिला—को ही आधिकारिक मान्यता दी जाएगी। इस फैसले का उद्देश्य और प्रभाव दोनों ही सवालों के घेरे में हैं।
ट्रंप का निर्णय और उसकी वजह
ट्रंप प्रशासन ने स्पष्ट किया कि जन्म के समय निर्धारित लिंग को बदला नहीं जा सकेगा। इस निर्णय को सामाजिक और प्रशासनिक स्थिरता के नाम पर लिया गया बताया गया है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम ट्रंप की विचारधारा और चुनावी राजनीति से प्रेरित है। उनके रक्षा मंत्री ने दावा किया था कि सेना में ट्रांसजेंडर और महिलाओं की उपस्थिति से सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
Donald Trump: अमेरिका में ट्रांसजेंडर समुदाय की स्थिति
अमेरिका में 16.4 लाख से अधिक लोग ट्रांसजेंडर पहचान रखते हैं। यह समुदाय समाज के हर क्षेत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहा है। विशेष रूप से सेना में उनकी भागीदारी उल्लेखनीय है, लेकिन ट्रंप के इस फैसले से उनके रोजगार और अधिकारों पर गहरा असर पड़ सकता है।
ओबामा बनाम ट्रंप: नीतियों का फर्क
ओबामा प्रशासन ने LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों को मजबूत किया था, जिसमें ट्रांसजेंडर लोगों को कानूनी और सामाजिक पहचान का अधिकार मिला। लेकिन ट्रंप के सत्ता में आते ही इन अधिकारों पर रोक लगनी शुरू हो गई।
Donald Trump: फैसले का प्रभाव
इस फैसले के चलते अब जन्म के समय दिए गए लिंग को ही कानूनी पहचान माना जाएगा, जिससे ट्रांसजेंडर समुदाय अपने जेंडर को बदलने के अधिकार से वंचित हो जाएगा। सरकारी नौकरियों, सेना, खेल, और अन्य सामाजिक क्षेत्रों में उनकी भागीदारी सीमित हो सकती है।
Donald Trump: आंदोलन और विरोध
ट्रंप के इस फैसले का व्यापक विरोध शुरू हो चुका है। ह्यूमन राइट्स कैंपेन जैसे संगठन इसे ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन मान रहे हैं। आगामी समय में इस फैसले के खिलाफ बड़े स्तर पर प्रदर्शन होने की संभावना है।
ट्रंप के इस कदम ने अमेरिका में न केवल सामाजिक मुद्दों को बढ़ावा दिया है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा किया है कि क्या यह फैसला देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप है?
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