
Didwana Rajasthan : सरकारी लापरवाही से संकट में आई टीबी के मरीजों की जान...जानें पूरा मामला
राहुल माथुर, डीडवाना
Didwana Rajasthan : सरकारी लापरवाही से संकट में आई टीबी के मरीजों की जान, प्रदेश भर के सरकारी अस्पतालों में टीबी दवा की सप्लाई हुई बंद डीडवाना सहित प्रदेश के सभी जिलों में खत्म हुआ टीबी दवाइयां का स्टॉक
Didwana Rajasthan : प्रदेश के 47000 से अधिक मरीज को नहीं मिल रही दवाइयां दवा नहीं मिलने से टीबी के मरीजों की बढ़ सकती है समस्या
सरकारी लापरवाही के कारण टीबी के मरीजों की जान संकट में आ गई है। हालत यह है कि सरकार की उदासीनता के चलते सरकारी अस्पतालों में पिछले करीब एक महीने से टीबी की दवा की सप्लाई नहीं हो सकी है,
दवा के लिए अस्पताल आ रहे मरीजों को बिना दवाई लिए ही बैरंग लौटना पड़ रहा है। अगर यही स्थिति रही तो पूरे प्रदेश के लगभग 47000 मरीजों का मर्ज लाइलाज हो सकता है।
आपको बता दें कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सीएमएसएस के माध्यम से टीबी की दवाई खरीद की जाती है। इसके बाद इन दवाइयों को देश भर के सरकारी अस्पतालों में भेजा जाता है।
टीबी रोग के लिए सभी सरकारी अस्पतालों में एक अलग यूनिट बनी हुई है, जो कि प्रदेश लेवल तक डायरेक्ट चेन सिस्टम के तहत कोआर्डिनेशन में रहती है। इसके बावजूद, पिछले दो माह से प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में टीबी की इस दवा की सप्लाई नहीं हो
रही है। हालत यह है कि सरकारी अस्पतालों के स्टॉक में अब टीबी की दवाइयां उपलब्ध ही नहीं है। इसकी वजह से टीबी से पीड़ित मरीजों को दवाइयां नहीं मिल पा रही, जिससे उनका रोग फिर से बढ़ना शुरू हो गया है।
जानकारी के मुताबिक डीडवाना और नागौर जिले में सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार 1193 से ज्यादा मरीज पंजीकृत है, जिन्हें लगातार 6 माह से 18 माह तक उपचार और दवाइयां दी जानी थी। टीबी रोग उन्मूलन के तहत सरकारी अस्पतालों में इन मरीजों को दवा की डोज देने के साथ ही निरंतर मॉनिटरिंग की जाती है।
एक्सपर्ट के मुताबिक टीबी रोग इतनी खतरनाक बीमारी है कि इसमें बीच में दवा को बंद नहीं किया जा सकता। टीवी का इलाज विभिन्न कैटेगरी में 6 से 18 माह तक चलता है।मरीज को दवा वजन के हिसाब से दी जाती है। लेकिन अगर दवा में अंतराल हो जाए तो पर मरीज में ड्रग रेसिस्टेंट टीबी भी डेवलप हो सकती है। लेकिन जनवरी माह से ही इस दवा की किल्लत शुरू हो गई है।
कुछ समय तक तो अस्पतालों में जैसे तैसे काम चलता रहा, लेकिन पिछले एक माह से दवा बिल्कुल खत्म हो चुकी है। ऐसे में मरीज का जीवन संकट में आ चुका है।