रायपुर। “दिल्ली चलो” का अयोध्या कनेक्शन : तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा , जय हिन्द, और दिल्ली चलो का नारा देने वाले आजादी के अमर नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस का अयोध्या से क्या नाता था ? कौन थे मौनी बाबा ? मौनी बाबा ने खड़े होकर किसका सैल्यूट लिया था ? सब कुछ आपको बताएंगे बस आप बने रहिए एशियन न्यूज़ भारत के साथ –
“दिल्ली चलो” का अयोध्या कनेक्शन : आख़िर क्या है ये मामला
ये नारा आजादी के महायोद्धा नेताजी सुभाष चंद्र बोस का था। उनकी आजाद हिन्द फौज के डर से अंग्रेज खौफ खाये हुए थे। साजिश का जाल नेताजी पर लगातार कसता ही जा रहा था। उसके बाद ही उन्होंने अपने एक हमशक्ल को उस विमान में चढ़ा दिया जिसके क्रैश करने की योजना
विरोधियों ने बना रखी थे। उसके बाद नेताजी अदृश्य हो गए। वे काफी लम्बे आरसे तक दुनिया के तमाम देशों में भेष बदल कर घुमते रहे, उसके बाद उन्होंने एक साधू का वेश धारण किया और मौनी बाबा बन गए। जो आजीवन अयोध्या में रहे।
कंपनी कमांडर ने जब किया अपने सुप्रीम कमांडर को सैल्यूट
रायपुर में रहने वाले आजाद हिन्द फ़ौज के कंपनी कमांडर दिलीप सिंह बरार जी ने बताया था कि वो अपने सुप्रीम कमांडर से मिलने अयोध्या गए थे। भीड़ छंटने का इंतज़ार भी उन्होंने पूरे धैर्य से किया। इसके बाद जब वो नेता जी के सामने सिविल ड्रेस में पहुंचे और सैल्यूट किया तो नेता जी ने भी
खड़े होकर उनके सैल्यूट का जवाब दिया था। इसके साथ ही उन्होंने अपना आखिरी आदेश भी बरार जी को दिया था कि ये राज़ कभी न खुलने पाए। कंपनी कमांडर दिलीप सिंह बरार जी ने खुद इस बात का जिक्र किया था।
बस शर्त ये थी कि उनकी मौत के बाद ही ये राज खुलना चाहिए, लिहाजा आज नेताजी के जन्मदिन के मौके पर ये बात अनायास ही याद आ गई।
कब पैदा हुए थे नेताजी
आज सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती है। देश की आजादी के महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है। ब्रिटिश शासन से देश की आजादी की लड़ाई के दौरान नेताजी के दिए नारों ने देशभक्ति की अलख जगा दी थी। तुम मुझे खून दो , मैं तुम्हें आजादी दूंगा, जय हिन्द, दिल्ली चलो। इसमें से तो ‘जय हिंद’ का नारा राष्ट्रीय नारा बन गया। ऐसे में आज हम सुभाष चंद्र बोस के जीवन से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे हर देशवासी को जानना जरूरी है….
सुभाष चंद्र बोस के जीवन से जुडी 10 महत्वपूर्ण बातें
1- सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 में ओडिशा के कर्नाटक में एक बंगाली परिवार में हुआ था। इनकी मां का नाम प्रभावती और पिता का जानकीनाथ था।
2- असल मीन नेताजी सुभाष चंद्र बोस 14 भाई बहन थे. जिसमें से ये 9वें नंबर पर थे।
3 – सुभाष चंद्र बोस ने इंडियन सिविल सर्विस की परीक्षा भी पास की थी जिसमें उन्हें चौथी रैंक मिली थी , लेकिन उन्होंने अंग्रेजों से मुल्क की आजादी के लिए इस पद को कभी भी स्वीकार नहीं किया।
4- सुभाषचंद्र बोस ने वर्ष 1937 में अपनी सचिव और ऑस्ट्रियन युवती एमिली से विवाह कर लिया। इससे उन्हें एक बेटी हुई जिनका नाम अनीता रखा गया था। वर्तमान में अनीता जर्मनी में अपने परिवार के साथ रहती हैं।
5- देश की आजादी के लिए सुभाषचंद्र बोस ने 1943 में सिंगापुर में आजाद हिंद फौज सरकार की नींव राखी थे. जिसे 9 देशों की सरकारों ने मान्यता दी थी जिसमें जर्मनी, जापान और फिलीपींस भी शामिल थे।
6- सुभाषचंद्र बोस ने ‘आजाद हिंद फौज’ नाम से रेडियो स्टेशन भी चलाया था। नेताजी ने पूर्वी एशिया में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व भी किया था।
7- सुभाष चंद्र बोस अपनी फौज के साथ 1944 में म्यांमार (पूर्व में बर्मा) पहुंचे थे। यहीं पर उन्होंने ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ का नारा लगाया था।
8- दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नेताजी ने सोवियत संघ, नाजी जर्मनी, जापान जैसे देशों से ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सहयोग मांगा था, जिसके बाद से सभी राजनीतिक दलों ने उनपर फांसीवादी ताकतों के साथ नजदीकी रिश्ते होने का आरोप लगाया था।
9- 18 अगस्त 1945 को ताइपई में हुए एक विमान दुर्घटना के बाद नेताजी लापता हो गए थे। इसके लिए 3 जांच आयोग बैठाए गए जिसमें से दो ने दुर्घटना के दौरान मृत्यु का दावा किया था, जबकि तीसरी कमेटी का दावा था कि घटना के बाद सुभाष चंद्र बोस जिंदा थे। इसको लेकर सुभाष चंद्र बोस के परिवार में भी मतभेद हो गया था।
10 – 2016 में प्रधानमंत्री मोदी सरकार में सुभाष चंद्र बोस से जुड़े 100 गोपनीय दस्तावेज को सार्वजनिक किया गया। इसका डिजिटल संस्करण राष्ट्रीय अभिलेखागार में मौजूद है।
11- 2021 में सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया गया।
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