
कस्टम मिलिंग घोटाला मामला पूर्व MD मनोज खरे और रोशन चंद्राकर की रिमांड बढ़ी
रायपुर : कस्टम मिलिंग घोटाला मामला : कस्टम मिलिंग घोटाले में शामिल पूर्व एमडी मनोज खरे और रोशन चंद्राकर की न्यायिक रिमांड को विशेष अदालत ने बढ़ाकर 14 दिन का कर दिया है। अब दोनों को 15 जनवरी 2025 को अदालत में पेश किया जाएगा।
यह घोटाला छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत चावल वितरण प्रक्रिया से जुड़ा है, जिसमें कस्टम मिलिंग के दौरान बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का खुलासा हुआ था।
मामले की पृष्ठभूमि:
- क्या है कस्टम मिलिंग?
- कस्टम मिलिंग एक प्रक्रिया है जिसमें सरकार किसानों से खरीदे गए धान को मिलर्स (चावल मिल मालिकों) को देती है, जो इसे चावल में बदलकर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत सरकारी गोदामों में जमा करते हैं।
- कैसे हुआ घोटाला?
- आरोप है कि कई मिलर्स और अधिकारियों ने साजिश रचकर धान की मात्रा में हेरफेर की।
- चावल की गुणवत्ता और मात्रा के साथ समझौता कर सरकारी धन का गबन किया गया।
- जांच में यह पाया गया कि बड़ी मात्रा में धान बिना मिलिंग के ही गायब हो गया या घटिया गुणवत्ता का चावल जमा किया गया।
- आरोपियों की भूमिका:
- मनोज खरे (पूर्व एमडी) और रोशन चंद्राकर पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर मिलर्स के साथ साठगांठ की।
- इस साजिश में लाखों टन धान और चावल की गड़बड़ी हुई, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ।
- ईओडब्ल्यू की जांच में उनकी भूमिका की पुष्टि हुई, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया।
कोर्ट में सुनवाई का विवरण:
- ईओडब्ल्यू ने विशेष अदालत में इनकी न्यायिक रिमांड बढ़ाने की याचिका दाखिल की।
- अदालत ने तर्कों को स्वीकार करते हुए कहा कि मामले की गहन जांच के लिए यह आवश्यक है।
- दोनों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में रायपुर सेंट्रल जेल भेजा गया।
आगे की कार्रवाई:
- ईओडब्ल्यू की जांच:
- दस्तावेजों और गवाहों के आधार पर मामले को और मजबूत बनाने के प्रयास।
- बैंक लेन-देन और अन्य संदिग्ध वित्तीय गतिविधियों की जांच जारी।
- 15 जनवरी को पेशी:
- अगली सुनवाई में आरोपियों से जुड़े अन्य साक्ष्य और सबूत अदालत के समक्ष पेश किए जाएंगे।
- हो सकता है कि अन्य अधिकारियों और मिलर्स की भूमिका पर भी प्रकाश डाला जाए।
घोटाले का प्रभाव:
- इस मामले ने छत्तीसगढ़ प्रशासन और राजनीति में हड़कंप मचा दिया है।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में सुधार और पारदर्शिता की मांग तेज हो गई है।
- घोटाले के कारण राज्य सरकार को राजकोषीय नुकसान झेलना पड़ा है, जिससे जनता में नाराजगी बढ़ी है।
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