
CJI B.R. Gavai
CJI B.R. Gavai: नई दिल्ली/लंदन: भारत के प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई ने लंदन स्थित ऑक्सफोर्ड यूनियन में दिए गए अपने प्रेरक संबोधन में भारतीय संविधान को ‘स्याही से उकेरी गई एक मौन क्रांति’ और सामाजिक परिवर्तन की मार्गदर्शक शक्ति करार दिया। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान न केवल अधिकारों की गारंटी देता है, बल्कि उन ऐतिहासिक रूप से वंचित समुदायों का उत्थान भी करता है, जिन्हें दशकों तक समाज की मुख्यधारा से बाहर रखा गया।
CJI B.R. Gavai: “जहां मुझे बोलने से रोका जाता था, वहां से आज मैं देश की सर्वोच्च न्यायिक आवाज हूं”
अपने भाषण के दौरान प्रधान न्यायाधीश गवई ने ‘प्रतिनिधित्व से लेकर कार्यान्वयन तक संविधान के वादे को मूर्त रूप देना’ विषय पर बोलते हुए अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा “कई दशक पहले, हमारे जैसे लाखों नागरिकों को अछूत कहकर चुप करा दिया जाता था। लेकिन आज मैं यहां खड़ा हूं, भारत की न्यायपालिका के सर्वोच्च पद पर, वही बातें कहने के लिए जिन्हें कहने का हक कभी हमसे छीन लिया गया था।”
CJI B.R. Gavai: न्यायपालिका के सर्वोच्च पद तक की प्रेरणादायक यात्रा
बी.आर. गवई ने अपनी यात्रा का ज़िक्र करते हुए कहा कि एक नगरपालिका स्कूल से शिक्षा शुरू करने वाला एक दलित छात्र, आज भारत का प्रधान न्यायाधीश है और यह केवल संविधान की शक्ति से संभव हुआ है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि वे भारत के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुंचने वाले दूसरे दलित और पहले बौद्ध न्यायमूर्ति हैं। “मेरे लिए संविधान सिर्फ एक राजनीतिक या कानूनी दस्तावेज नहीं है। यह एक भावना है, एक जीवनरेखा है, जो मुझे हर मोड़ पर दिशा दिखाती रही है।”
CJI B.R. Gavai: डॉ. अंबेडकर की विरासत को बताया ‘वैश्विक न्याय की नींव’
प्रधान न्यायाधीश ने डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा: “डॉ. अंबेडकर ने जातिगत भेदभाव के अपने व्यक्तिगत अनुभव को एक वैश्विक न्याय की समझ में बदल दिया। उन्होंने हमें यह सिखाया कि पीड़ा को शक्ति में कैसे बदला जा सकता है।”
CJI B.R. Gavai: संविधान: वंचितों के लिए उम्मीद की रौशनी
गवई ने कहा कि भारत का संविधान सिर्फ किताबों में बंद नहीं है, बल्कि यह देश के सबसे कमजोर नागरिकों के लिए जीवन की रौशनी है। ऑक्सफोर्ड यूनियन जैसे वैश्विक मंच पर भारत के दलित समाज का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन संभव हुआ है क्योंकि संविधान ने हर भारतीय को यह विश्वास दिलाया है कि वे अपने लिए बोल सकते हैं, खड़े हो सकते हैं, और नेतृत्व कर सकते हैं।