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Chhattisgarh News : तेंदूपत्ता माफिया सक्रीय,मध्यप्रदेश का तेंदूपत्ता छत्तीसगढ़ में हो रहा बिक्री,शासन की योजना का बंदरबांट, रात के अंधेरे में लाया जाता है तेंदूपत्ता, वन विभाग रोकने में नाकाम
शराफत अली, एम सी बी
Chhattisgarh News : मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर- जिला के भरतपुर के सीमावर्ती क्षेत्रों से मध्यप्रदेश का हरा सोना कहे जाने वाला तेंदूपत्ता जिसे छत्तीसगढ़ में खपाया जा रहा है। जहा सीमावर्ती क्षेत्रों से तेंदूपत्ता माफिया सक्रिय होकर मध्यप्रदेश से तेंदूपत्ता को 350 रू प्रति गड्डी लेकर छत्तीसगढ़ में ग्रामीणों के कार्ड में 10 हजार से 20 हजार गड्डी की एंट्री कर दी जा रही है। जिसे वन विभाग की लापरवही या मिली भगत
Chhattisgarh News : भ्रस्टाचार कह सकते है। मनेन्द्रगढ़ वन मंडल के जनकपुर और कुंवारपुर वन परिक्षेत्र के सीमावर्ती क्षेत्रों के कई फड़ों में तेंदूपत्ता खपाया जा रहा है। यदि एक एक कार्ड की जांच हो तो कई बड़े खुलासे हो सकते है. एक दिन में 10 हजार से ज्यादा तेंदूपत्ता के गड्डी कोई एक परिवार कैसे तोड़ सकता है। इस संबंध में जनकपुर वन परिक्षेत्र के अधिकारी चंद्रकेश्वर सिंह का कहना है कि कल भी हम लोगों ने
रात्रि गश्त किया है, पूरी कोशिश है कि मध्यप्रदेश से तेंदूपत्ता यहां नहीं आ पाए, पूरी निगरानी बरती जा रही है। कई क्षेत्रों में हमने बैरियर भी लगाए है।आप के मध्यम से पता चल रहा है तो और गश्ती तेज कर दी जाएगी है। वनमंडल मनेन्द्रगढ अंतर्गत परिक्षेत्र जनकपुर और कुंवारपुर में इन दिनों तेंदूपत्ता में बड़ा गड़बड़झाला किया जा रहा है। मध्यप्रदेश के सीधी जिले से तेंदूपत्ता की पत्तियों को छत्तीसगढ़
के फड़ों में आसानी से खपाया जा रहा है, इनमें बड़वाही यहां दो फड़ है, इसके अलावा महदौली, माड़ीसरई, घुघरी, हरचौका, पटेराटोला, हरदी, दंदरी, कोटा, पिपरहा, हर्रहा, गिजोहर, लवाही, पनखोड़ा फड़ों में रोजाना 30 से 40 हजार तेंदूपत्ता की गड्डी मध्यप्रदेश से लाकर खपाई जा रहा है। छत्तीसगढ़ का यह क्षेत्र मध्यप्रदेश के सीधी जिले की सीमा से लगा हुआ है। सीधी क्षेत्र से आने
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वाला तेंदूपत्ता का खेल रात 12 बजे के बाद शुरू होता है, इसके लिए इसमे शामिल माफिया गर्मी के मौसम का पूरा फायदा उठा रहे हैं। वहीँ सीमावर्ती क्षेत्रों में जंगलों से छत्तीसगढ़ पहुंचने के कई रास्ते हैं, जिनसे आसानी से पहुंचा जा सकता है। छोटे नदी नालों में पानी कम हो गया है, बाइक में तेंदूपत्ता बांध कर नदी पार कर यहां लेकर आ रहे हं, रात 12 बजे से लेकर सुबह 4 बजे तक यह खेल जारी
रहता है। इस खेल में फड़ में किसको कितनी गड्डी दी जानी है, इसकी पूरी सेंटिंग पहले से की जा चुकी होती है। रातों-रात लाकर तय घरों में तेंदूपत्ता की गड्डियों वितरित कर दी जाती है।गुरूघासीदास नेशनल पार्क में तेंदूपत्ता के तोडने पर प्रतिबंध लगा हुआ है, यहां ग्रामीणों को नकद राशि प्रोत्साहन के रूप में प्रदान की जाती है, बावजूद इसके यहां ग्रामीण बड़ी मात्रा में तेंदूपत्ता तोड़ते हं और तोड़े हुए
पत्तों को जनकपुर कुंवारपुर परिक्षेत्र के सीमा पर स्थित तेंदूपत्ता फड़ों में जाकर बेच देते हैं, वहीं सीधी जिले में स्थित संजय गांधी नेशनल पार्क में स्थानीय लोगों को तेंदूपत्ता तोडने कीअनुमति दे दी गई है, और वहां दर कम होने के कारण वहां का पत्ता छत्तीसगढ़ आ रहा है। जिसे लेकर वन विभाग किसी भी तरह रोक लगाने की कोशिश नहीं कर पाता है। इन दिनों दोनों नेशनल पार्क से काफी मात्रा में
तेंदूपत्ता आ रहा है। आपको बता दें मध्यप्रदेश में 4000 तो छत्तीसगढ़ में 5500 मध्यप्रदेश में तेंदूपत्ता की दर 4000 रू मानक बोरा है, जबकि छत्तीसगढ़ में इस बार भाजपा की सरकार ने 5500 मानक बोरा दिए जाने की घोषणा की है, यही कारण है कि मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिलों से तेंदूपत्ता लाकर छत्तीसगढ़ में खपाया जा रहा है, इससे तेंदूपत्ता माफिया सक्रिय है। जिससे छत्तीसगढ़ शासन की योजना का बंदरबांट किया जा रहा है।