छठ महापर्व का आज दूसरा दिन है, जिसे खरना कहा जाता है। यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन व्रती महिलाएं उपवास रखती हैं और छठी मैया का प्रसाद तैयार करती हैं।
खरना का महत्व
- शुद्धता और पवित्रता: खरना का अर्थ शुद्धिकरण है। यह दिन व्रतियों के लिए मन, वचन और कर्म से पवित्रता बनाए रखने का अवसर होता है।
- प्रसाद का महत्व: इस दिन गुड़ की खीर बनाई जाती है, जो मिट्टी के चूल्हे पर पकाई जाती है। यह खीर व्रती द्वारा सबसे पहले ग्रहण की जाती है और फिर इसे परिवार एवं समुदाय में बांटा जाता है।
खरना पूजा की विधि
- साफ-सफाई: पूजा स्थल और घर को अच्छी तरह से साफ करें।
- साफ वस्त्र: पूजा करने वाले व्यक्ति को साफ-सुथरे वस्त्र धारण करने चाहिए।
- प्रसाद तैयार करना:
- गुड़ की खीर बनाने के लिए चावल, दूध और गुड़ का उपयोग किया जाता है।
- इसके अलावा रोटी, फल और मिठाइयाँ भी बनाई जाती हैं।
- अर्घ्य देना:
- शाम को सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।
- गंगाजल और दूध मिलाकर अर्पित किया जाता है।
- प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद सभी में बांटा जाता है और अंत में व्रती स्वयं प्रसाद ग्रहण करते हैं।
विशेष बातें
- खरना के दिन व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास रखते हैं, जो सप्तमी तिथि पर अर्घ्य देने के बाद समाप्त होता है।
- इस दौरान प्याज और लहसुन का सेवन नहीं किया जाता है।
- व्रति महिलाओं को चार दिन तक जमीन पर सोने की सलाह दी जाती है।
शुभ मुहूर्त
आज के दिन खरना पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को होने वाला है, जब सूर्य अस्त हो रहे होंगे।यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि यह पारिवारिक एकता और सामाजिक संबंधों को भी मजबूत करता है।
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