
CG High Court
CGMSC Scam: बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) से जुड़े 411 करोड़ रुपये के मेडिकल उपकरण खरीदी घोटाले में चार आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। यह फैसला सोमवार को सुनाया गया। मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो और इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (ACB-EOW) ने मोक्षित कॉर्पोरेशन, रिकॉर्ड्स एंड मेडिकेयर सिस्टम, श्री शारदा इंडस्ट्रीज, और सीबी कॉर्पोरेशन के खिलाफ FIR दर्ज की थी।
CGMSC Scam: हाईकोर्ट का तर्क: जांच शुरुआती दौर में, संलिप्तता स्पष्ट
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह मामला अभी जांच के शुरुआती चरण में है। कई सह-आरोपियों को पहले ही हिरासत में लिया जा चुका है, और 411 करोड़ रुपये के इस घोटाले में चारों आरोपियों—राजेश गुप्ता, अभिषेक कौशल, नीरज गुप्ता और अविनेश कुमार—की संलिप्तता प्रथम दृष्टया साबित होती है। इस आधार पर उनकी अग्रिम जमानत याचिकाएं नामंजूर कर दी गईं।
CGMSC Scam: फर्म के प्रमोटर और कर्मचारियों ने मांगी थी राहत
मामले में FIR दर्ज होने के बाद ACB-EOW ने मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद पंजाब और हरियाणा के निवासी अविनेश कुमार, राजेश गुप्ता, अभिषेक कौशल और नीरज गुप्ता, जो फर्म के प्रमोटर और कर्मचारी हैं, ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए अर्जी दायर की थी। उन्होंने दलील दी कि FIR में उनका नाम शामिल नहीं है और उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं। उनका कहना था कि वे केवल कंपनी के कर्मचारी, प्रमोटर, निदेशक या कार्यकारी निदेशक हैं, और टेंडर प्रक्रिया में उनकी कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं थी।
CGMSC Scam: टेंडर में मिलीभगत का आरोप
राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता डॉ. सौरभ पांडेय ने अग्रिम जमानत का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि रिकॉर्ड्स एंड मेडिकेयर सिस्टम्स ने मोक्षित कॉर्पोरेशन और श्री शारदा इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर पूल टेंडरिंग की थी। तीनों कंपनियों के रीएजेंट्स के नाम, पैकेजिंग और दरें समान थीं, जो सामान्य परिस्थितियों में संभव नहीं है। इससे टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी की आशंका जाहिर होती है।
CGMSC Scam: शासन ने यह भी बताया कि आरोपी अविनेश कुमार ने टेंडर से संबंधित दस्तावेज तैयार किए थे और वह CGMSC की निविदा प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल थे। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि मोक्षित कॉर्पोरेशन के पार्टनर शशांक चोपड़ा पहले रिकॉर्ड्स एंड मेडिकेयर सिस्टम्स के लिए लाइजनिंग का काम करते थे, जो दोनों कंपनियों के बीच पहले से संबंधों को दर्शाता है।
CGMSC Scam: घोटाले की पृष्ठभूमि
यह मामला 2021 का है, जब स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल उपकरणों और मशीनों की खरीदी की प्रक्रिया शुरू की थी। CGMSC ने मात्र 26-27 दिनों में 411 करोड़ रुपये की खरीदी के आदेश जारी किए थे। आरोप है कि खरीदी से पहले मशीनों की जरूरत का सही आकलन नहीं किया गया और भंडारण की कोई व्यवस्था नहीं थी। इसके बावजूद बड़ी मात्रा में उपकरण खरीदे गए। रीएजेंट्स के रखरखाव की कोई सुविधा नहीं होने के बावजूद उन्हें स्वास्थ्य केंद्रों में स्टोर कर दिया गया।
CGMSC Scam: 8.50 रुपये की ट्यूब 2352 रुपये में खरीदी
शासन का आरोप है कि CGMSC के अधिकारियों ने रीएजेंट सप्लाई करने वाली कंपनियों को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने के लिए नियमों की अनदेखी की। जांच में सामने आया कि EDTA ट्यूब, जिसे अन्य संस्थाएं 8.50 रुपये में खरीद रही थीं, उसे CGMSC ने 2352 रुपये प्रति नग की दर से खरीदा। इससे सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।