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छत्तीसगढ़ के उच्च शिक्षा विभाग ने हाल ही में 131 प्राध्यापकों को पदोन्नति देकर प्राचार्य बनाया। इसमें दुर्ग साइंस कॉलेज के 17 प्रोफेसर भी शामिल थे। लेकिन इनमें से 8 प्रोफेसरों ने प्राचार्य पद की पदोन्नति को ठुकरा दिया। इन प्रोफेसरों ने लिखित रूप से विभाग को पदोन्नति त्याग पत्र सौंप दिया।
प्राचार्य पद क्यों ठुकराया गया?
- नए कॉलेज पसंद नहीं: कई प्रोफेसरों ने असंतोष जताया कि उन्हें उनकी पसंद के कॉलेज में पदस्थापना नहीं मिली।
- दूरी का बहाना:
- एक प्रोफेसर को धनोरा मॉडल कॉलेज भेजा गया, जो साइंस कॉलेज से मात्र 6 किमी दूर है, फिर भी उन्होंने पदोन्नति को ठुकरा दिया।
- एक अन्य प्रोफेसर ने मचांदुर कॉलेज जाने से इनकार कर दिया, जो उतई से कुछ ही दूरी पर स्थित है।
- आउटर क्षेत्र में जाने से परहेज: ग्रामीण या आउटर क्षेत्र के कॉलेजों में जाने से प्रोफेसरों ने असमर्थता जताई।
ग्रामीण कॉलेजों पर प्रभाव
- ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेजों में नियमित प्राचार्य नहीं होने से शैक्षिक और प्रशासनिक गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है।
- वरिष्ठ और अनुभवी प्रोफेसरों के इनकार से ग्रामीण विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
- प्रशासनिक कसावट न होने के कारण कॉलेजों में अव्यवस्था की स्थिति बनी रहती है।
आने वाली है नई पदोन्नति सूची
उच्च शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार, जनवरी 2024 तक- यूजी प्राचार्य से पीजी प्राचार्य पदोन्नति की सूची जारी की जाएगी।
- उन प्रोफेसरों को मौका मिलेगा, जो पिछली सूची में पदोन्नति से वंचित रह गए थे।
- हालांकि, पदोन्नति के बाद भी अपनी पसंदीदा जगह न मिलने पर प्रोफेसरों द्वारा इसे ठुकराने का ट्रेंड जारी रहने की संभावना है।
दुर्ग संभाग में बढ़ता ट्रेंड
- दुर्ग संभाग में प्रोफेसरों द्वारा पदोन्नति के बावजूद नई जिम्मेदारी न लेने का ट्रेंड आम हो गया है।
- इस ट्रेंड से ग्रामीण और आउटर क्षेत्रों के कॉलेजों की शैक्षिक और प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित हो रही है।
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्राचार्य पदोन्नति और नई जिम्मेदारी सौंपने की प्रक्रिया सराहनीय है, लेकिन प्रोफेसरों द्वारा इसे ठुकराना शिक्षा व्यवस्था के लिए चिंता का विषय है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के कॉलेजों और छात्रों को बड़ा नुकसान हो रहा है।
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