
Atal Bihari Vajpayee : सुशासन दिवस पर उनकी प्रेरक कविताओं और विचारों को याद करें...
25 दिसंबर 2024 को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती पर पूरे देश में उन्हें याद किया जा रहा है। यह दिन सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसमें वाजपेयी जी के आदर्शों और विचारों को याद कर सुशासन की शपथ ली जाती है। उनके जीवन और कार्यों ने न केवल भारतीय राजनीति को दिशा दी, बल्कि समाज पर भी गहरी छाप छोड़ी।
अटल बिहारी वाजपेयी: अद्वितीय व्यक्तित्व और कृतित्व
- जन्म: 25 दिसंबर 1924, ग्वालियर
- पद: तीन बार भारत के प्रधानमंत्री (1996, 1998-2004)
- सम्मान: 2015 में भारत रत्न, 1992 में पद्म विभूषण
- विशेषताएं: कवि, प्रखर वक्ता, और कुशल राजनीतिज्ञ
अटल जी का कार्यकाल कई ऐतिहासिक उपलब्धियों से भरा रहा, जैसे पोखरण परमाणु परीक्षण, राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना, और स्वर्णिम चतुर्भुज योजना। उन्होंने देश की आंतरिक और बाह्य नीति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सुशासन दिवस का महत्व
सुशासन का अर्थ है नीतियों और संसाधनों का ऐसा प्रबंधन, जो पारदर्शिता, न्याय और समानता को सुनिश्चित करता हो। अटल जी का मानना था कि सुशासन का आधार लोक सेवा, पारदर्शिता और जवाबदेही है। उनके विचारों में यह झलकता था कि शासन केवल सत्ता का प्रयोग नहीं, बल्कि जनता के लिए समर्पण होना चाहिए।
उनके प्रसिद्ध विचार:
- “हम केवल अपने लिए न जीएं, औरों के लिए भी जीएं।”
- “गरीबी कोई गरिमा नहीं, बल्कि विवशता है।”
- “हे प्रभु! मुझे इतनी ऊंचाई कभी मत देना, गैरों को गले न लगा सकूं, इतनी रुखाई कभी मत देना।”
अटल जी की कविताएं: जीवन के प्रति उनका दृष्टिकोण
अटल बिहारी वाजपेयी न केवल एक महान नेता थे, बल्कि एक संवेदनशील कवि भी थे। उनकी कविताएं जीवन, संघर्ष और सकारात्मकता का प्रतीक हैं।
प्रसिद्ध कविताएं:
- हार नहीं मानूंगा
- “हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा,
काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूं।”
- “हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा,
- मौत से ठन गई
- “मौत से ठन गई,
जूझने का मेरा इरादा न था,
पर रास्ता रोक कर खड़ी हो गई।”
- “मौत से ठन गई,
- गीत नया गाता हूं
- “झरे सब पीले पात, कोयल की कुहुक रात,
प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूं।”
- “झरे सब पीले पात, कोयल की कुहुक रात,
- आओ फिर से दिया जलाएं
- “भरी दुपहरी में अंधियारा, सूरज परछाई से हारा,
आओ फिर से दिया जलाएं।”
- “भरी दुपहरी में अंधियारा, सूरज परछाई से हारा,
मध्यप्रदेश में केन-बेतवा परियोजना का शिलान्यास
इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल जी की स्मृति में केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना की आधारशिला रखी। यह परियोजना अटल जी के दृष्टिकोण और विकासशील भारत के उनके सपने को साकार करने की दिशा में एक कदम है। इस परियोजना से लाखों किसानों को सिंचाई और पेयजल की सुविधा मिलेगी।
अटल जी का राजनीतिक योगदान
- पहला नेता: जिन्होंने चार अलग-अलग राज्यों (उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात और दिल्ली) से लोकसभा चुनाव जीते।
- संसदीय अनुभव: 40 वर्षों से अधिक का अनुभव, जिसमें 7 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के सदस्य रहे।
- आधारभूत संरचना: राष्ट्रीय राजमार्ग और स्वर्णिम चतुर्भुज जैसी परियोजनाएं।
- परमाणु शक्ति: पोखरण-2 परीक्षण ने भारत को वैश्विक मंच पर मजबूती से स्थापित किया।