
CG NAXAL ENCONTER: छत्तीसगढ़ में 1 करोड़ के इनामी सहित 10 नक्सली मारे गए, केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने की सराहना, कहा- 31 मार्च से पहले सरेंडर कर दें...
Amit Shah: नई दिल्ली: देश में हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं को लेकर जारी बहस के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को अंग्रेजी भाषा को लेकर एक बड़ा और भावनात्मक बयान दिया। उन्होंने दिल्ली में आयोजित एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में कहा कि वह दिन दूर नहीं जब भारत में अंग्रेजी बोलने वालों को खुद पर शर्म महसूस होगी और एक ऐसा समाज बनेगा जो अपनी भारतीय भाषाओं पर गर्व करेगा।
पूर्व IAS अधिकारी आशुतोष अग्निहोत्री द्वारा लिखी गई पुस्तक के विमोचन के अवसर पर अमित शाह ने कहा कि देश की भारतीय भाषाएं हमारी आत्मा और संस्कृति की पहचान हैं। उन्होंने दो टूक कहा, “मेरी बात ध्यान से सुनिए और याद रखिए, इस देश में अंग्रेजी बोलने वालों को शर्म आएगी, ऐसा समाज हम बनाएंगे।” उन्होंने स्पष्ट किया कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी सभ्यता, संस्कृति और ऐतिहासिक चेतना का आधार है।
अमित शाह ने कहा कि विदेशी भाषा के सहारे भारत की संपूर्णता की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने तर्क दिया कि किसी भी विदेशी भाषा में भारत का इतिहास, धर्म और परंपराएं पूरी तरह से नहीं समझी जा सकतीं। उन्होंने भारतीय भाषाओं को “हमारा गहना” और “संविधान की आत्मा” बताया।
Amit Shah: गृह मंत्री ने यह भी स्वीकार किया कि यह लड़ाई आसान नहीं है, लेकिन उन्हें पूरा विश्वास है कि भारतीय समाज इस लड़ाई को जरूर जीतेगा। उन्होंने भरोसा जताया कि आने वाले वर्षों में देश के सभी निर्णय, शोध, विमर्श और शासन अपनी भाषाओं में होंगे। अमित शाह ने 2047 को लक्ष्य बताते हुए कहा कि जब भारत आजादी के 100 वर्ष पूरे करेगा, तब देश दुनिया में शीर्ष स्थान पर होगा और इसमें हमारी भाषाओं की भूमिका सबसे अहम होगी।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में हिंदी को थोपे जाने को लेकर राजनीतिक बहस तेज है। अमित शाह के इस बयान से एक बार फिर देश में भाषा को लेकर विमर्श और विवाद दोनों को बल मिलने की संभावना है।
यह बयान उन तमाम लोगों के लिए भी एक संदेश है जो अंग्रेजी को श्रेष्ठता की निशानी मानते हैं और अपनी मातृभाषा को द्वितीयक दर्जा देते हैं। गृह मंत्री ने एक स्पष्ट संदेश दिया है भारतीय भाषाएं ही भारत की असली पहचान हैं, और समय आ गया है कि हम अपने भाषाई गौरव को पुनर्स्थापित करें।