बेंगलुरु : चीन ने अपनी छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान की पहली उड़ान सफलतापूर्वक पूरी कर दुनिया को चौंका दिया है। इसे “व्हाइट इंपरर” (बैदी) उपनाम दिया गया है, जो एक स्टील्थ एयरक्राफ्ट है, capable of evading radar detection. विमान में एडवांस एवियोनिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी अत्याधुनिक तकनीकें इस्तेमाल की गई हैं। इसके अलावा, यह विमान यूएवी (Unmanned Aerial Vehicles) के साथ मिलकर कार्य करेगा और हाइपरसोनिक मिसाइल से लैस होगा। इस उड़ान को चीन की एयरोस्पेस क्षमताओं में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
वहीं, भारत अपनी तेजस मार्क 1A लड़ाकू विमान की ओर भी तेजी से बढ़ रहा है। इस विमान में स्वदेशी “अस्त्रा” बियॉन्ड-विजुअल-रेंज मिसाइल, स्थानीय रूप से निर्मित इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सूट और इजराइली एल्टा रडार जैसे अत्याधुनिक तकनीकी सिस्टम्स लगाए गए हैं। तेजस मार्क 1A के ट्रायल्स जनवरी 2024 में शुरू होंगे, हालांकि इसकी डिलीवरी में देरी हो रही है। इसके निर्माण में GE कंपनी द्वारा दिए गए F404-IN20 इंजन की सप्लाई में देरी के कारण यह परियोजना एक साल पीछे चल रही है। हालांकि, इस साल मार्च 2024 में इसके लिए पहली डिलीवरी की उम्मीद थी, जो अब मार्च 2025 में शुरू होगी।
तेजस मार्क 1A में विशेषत: हवा में ईंधन भरने की क्षमता है, जिससे इसकी ऑपरेशनल रेंज में वृद्धि होती है। इसके अलावा, यह विमान एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्केन्ड ऐरे रडार, BVR मिसाइल और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट जैसी सुविधाओं से लैस है, जो इसे अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित बनाती हैं।
भारत और चीन के बीच की यह एयरोस्पेस प्रतिस्पर्धा आने वाले वर्षों में और भी दिलचस्प हो सकती है, जब दोनों देश अपनी-अपनी वायुसेना की क्षमताओं को और अधिक सशक्त बनाएंगे।
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