Manmohan Singh Passes Away : पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन आज 26 दिसंबर 2024 को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में हुआ। उनके निधन से भारतीय राजनीति और समाज ने एक महान नेता को खो दिया है। डॉ. मनमोहन सिंह न केवल एक कुशल अर्थशास्त्री और राजनेता थे, बल्कि उन्होंने समाज में मानवता और संवेदनशीलता के कई उदाहरण प्रस्तुत किए थे। एक ऐतिहासिक घटना को याद करते हुए, जब गुजरात के दंगों के बाद डॉ. मनमोहन सिंह दंगा पीड़ितों के बीच पहुंच गए थे और उनका दर्द साझा किया था, तब उन्होंने जो बयान दिया था, वह आज भी लोगों के दिलों में गूंजता है।
Manmohan Singh Passes Away : दंगे के बाद संवेदनशीलता
2002 के गुजरात दंगों के बाद, जब देशभर में तनाव का माहौल था, डॉ. मनमोहन सिंह ने उन क्षेत्रों का दौरा किया जो दंगों से सबसे अधिक प्रभावित थे। यह कदम तब लिया गया था जब बहुत से नेता और राजनीतिक दल केवल अपनी राजनीतिक लाइन पर चल रहे थे। डॉ. मनमोहन सिंह ने दंगा पीड़ितों से मिलकर उनकी पीड़ा और दर्द को महसूस किया और सरकार की ओर से उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
“दंगा पीड़ितों का दर्द मेरा दर्द है”
इस दौरे के दौरान, डॉ. मनमोहन सिंह ने एक ऐतिहासिक बयान दिया था, “दंगा पीड़ितों का दर्द मेरा दर्द है।” यह शब्द न केवल उनके सहानुभूति और संवेदनशीलता को व्यक्त करते थे, बल्कि यह दर्शाते थे कि वह एक ऐसे नेता थे जो राजनीति से परे, मानवता की सेवा में विश्वास रखते थे। उनके इस बयान ने उन्हें केवल एक नेता के रूप में ही नहीं, बल्कि एक मानवतावादी के रूप में भी प्रतिष्ठित किया।
उनकी नीतियां और मानवाधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता
डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन समाज की बेहतरी के लिए समर्पित था। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद, भारत में कई ऐतिहासिक आर्थिक और सामाजिक सुधार हुए। उन्होंने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि उनकी नीतियां केवल आर्थिक विकास तक सीमित न हों, बल्कि समाज के हर वर्ग को समान अधिकार मिले। उनका यह दृष्टिकोण भारत की विविधता और सामाजिक संरचना को सम्मान देने का था।
निधन और शोक
अब, डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से देश ने एक महान नेता को खो दिया है, जो न केवल अपनी नीतियों के लिए बल्कि उनकी मानवीयता और संवेदनशीलता के लिए भी याद किए जाएंगे। उनके निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई अन्य नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। उनकी नीतियों और उनके नेतृत्व ने भारतीय राजनीति और समाज को गहरे रूप से प्रभावित किया।
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