
Dussehra festival 2024 : मुस्लिम परिवार कई पीढ़ी से बना रहा रामलीला में पुतला..
Dussehra festival 2024 : हापुड़ : आज एक कहानी है एक ऐसे परिवार की जो बाइट कई पीढ़ी से रामलीला में पुतले बनाने का काम कर रहा है। साथ ही हिंदू और मुस्लिम एकता की भी मिशाल दे रहा है।
एक ऐसा परिवार जिसका पालन पोषण के लिए पुतले बनाता है। ऐसा ही परिवार गाजियाबाद के फरूख नगर का एक मुस्लिम परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी रामलीला में पुतला बनाने का कार्य कर रहा है।
पहले दादा फिर पिता और अब स्वयं पुतला बनाकर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे मासूम अली 10 वर्ष की आयु से अपने पिता के साथ पुतला बनाने का कार्य करने लगे थे।
तब से लेकर अब तक वह इसी कार्य से आजीविका चला रहे है। तेजी से बढ़ रही महंगाई का असर भी उनके काम पर पड़ता है। पिछले वर्ष तक वह रावण कुंभकर्ण व मेघनाद का पुतला बनाने के लिए डेढ़ लाख रुपये लेते थे
लेकिन, इस बार वह तीनों पुतले के दो लाख रुपये रामलीला समिति से ले रहे है। मासूम अली जब 14 वर्ष के थे तब वह अपने पिता जमील अली के साथ पुतला बनाने के कार्य पर जुट गए थे।
Dussehra festival 2024
आज वह अपने कार्य में इतने निपुण हो गए है कि वह प्रत्येक वर्ष तीन से चार स्थानों पर पुतला बनाते है। जीवन में सबसे पहला पुतला बनाने के लिए उन्होंने 2800 रुपये लिए थे।
इस बार वह पिलखुवा, दिल्ली के शहादरा, झिलमिल, कस्तूरबा नगर की रामलीला में पुतला बनाने का कार्य कर रहे है। पिलखुवा में उनके द्वारा दस लोगों की टीम के सहयोग से बनाया गया पुतला तैयार है।
मासूम अली ने बताया कि मुस्लिम समुदाय का होने के बाद भी जिस प्रकार उन्हें ईद की खुशी होती है उसी प्रकार वह दशहरा पर्व पर खुशी मनाते है।
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इस बार रावण का पुतला 65 फिट, कुंभकर्ण व मेघनाद का 60 फीट का पुतला बनाया गया है। दो सप्ताह में पुतले तैयार कर लेते है
लेकिन दशहरा पर्व पर जब दो सप्ताह की मेहनत कुछ ही देर में जलकर खाक हो जाती है तब, थोड़ा दुख होता है लेकिन, असत्य पर सत्य की जीत का संदेश देता यह
पर्व सारा दुख समेट लेता है। जब पुतलों का दहन होता है तब लोगों के चेहरे पर खुशी देखकर उनके चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ जाती है।
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