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नई दिल्ली: Maha Kumbh Stampede Case : सुप्रीम कोर्ट ने महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ के मामले पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। दरअसल, इस मामले में एक जनहित याचिका दायर की गई थी
Maha Kumbh Stampede Case : जिसमें भगदड़ के दौरान हुई दुर्घटनाओं पर स्टेटस रिपोर्ट की मांग की गई थी और अधिकारियों पर कार्रवाई की अपील की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार नहीं किया और याचिका दायर करने वाले वकील को इलाहाबाद हाई कोर्ट में मामले को उठाने की सलाह दी।
याचिका में क्या था आरोप?
महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या के दिन संगम पर भारी भीड़ जुटी थी, जिसमें भगदड़ मचने से कई लोग घायल हो गए थे और कुछ की जान भी गई थी। याचिका में मांग की गई थी कि इस घटना पर जांच की जाए
और इसकी जिम्मेदारी तय की जाए। इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, जिन्होंने इस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उचित सुरक्षा व्यवस्था नहीं की।
याचिका में यह भी बताया गया था कि भगदड़ में जानमाल का नुकसान हुआ और यह सुरक्षा व्यवस्था में चूक के कारण हुआ। याचिकाकर्ता ने सरकार से इस घटना की पूरी जानकारी मांगी थी और इस पर उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से मना करते हुए कहा कि यह मामला राज्य स्तर का है और इसके लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के पास जाना उचित होगा। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह अपनी याचिका लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट
जाएं, जहां इस मामले पर उचित कानूनी प्रक्रिया और कार्रवाई की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला राज्य के प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था से संबंधित है, और इसे पहले उच्च न्यायालय में उठाना चाहिए।
वकील का बयान:
जनहित याचिका दायर करने वाले वकील ने कोर्ट के फैसले के बाद कहा कि वह अब इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर करेंगे और वहां से इस मामले की सुनवाई की अपील करेंगे।
वकील ने कहा कि यह मामला केवल भगदड़ की घटना का नहीं बल्कि इसके पीछे की प्रशासनिक चूक और सुरक्षा व्यवस्था की कमी से भी जुड़ा हुआ है, और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई जरूरी है।
महाकुंभ में सुरक्षा व्यवस्था की चूक?
मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ ने महाकुंभ के आयोजन की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। इस दिन लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान के लिए पहुंचे थे
और भारी भीड़ के कारण कुछ जगहों पर भगदड़ मच गई। इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन और पुलिस की ओर से यह स्वीकार किया गया था कि पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी, और इससे सुरक्षा चूक की बात सामने आई थी।
अब इस मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई होगी, जहां इस घटना की पूरी जांच की उम्मीद जताई जा रही है और यह देखा जाएगा कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
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