रायपुर : राज्य में इस बार निकाय चुनाव 37 दिनों में पूरे किए जाएंगे, जिससे चुनाव खर्च में कमी आएगी और सरकारी कार्यों में बाधा भी कम होगी। पहले इन चुनावों के लिए 80 दिनों तक आचार संहिता लागू होती थी, जिससे विकास कार्यों में रुकावट आती थी और आम लोगों को परेशानी होती थी।
निकाय चुनाव: इस बार छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को एक साथ कराने का निर्णय लिया गया है, जो राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, चुनावों के लिए एक साथ कार्यवाही करने से करीब 30% तक खर्च में बचत हो सकती है। साथ ही, चुनावी प्रक्रिया में कार्यरत कर्मचारियों का प्रशिक्षण और ईवीएम मशीनों का परिवहन भी एक साथ किया जाएगा, जिससे समय और संसाधनों की बचत होगी।
निकाय चुनाव: यह पहला मौका होगा जब राज्य में एक साथ दोनों चुनाव कराए जाएंगे, और इसे राज्य सरकार ने एक रोल माडल के रूप में पेश किया है। निर्वाचन आयोग का कहना है कि इतनी बड़ी ड्यूटी के लिए पर्याप्त सुरक्षा बल उपलब्ध नहीं है, और केंद्रीय बल भी उपलब्ध नहीं करवा रहे हैं।
निकाय चुनाव: वहीं, कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि ओबीसी वर्ग को इस चुनाव में नुकसान हो सकता है और चुनाव की तारीखों से सीबीएससी की परीक्षा भी टकरा रही है, जिससे बच्चों के भविष्य पर असर पड़ सकता है।
गौरतलब है कि इस प्रक्रिया के बाद राज्य सरकार को स्थानीय चुनावों पर होने वाले खर्च में बचत होने की उम्मीद है, जबकि पिछले चुनावों में इन पर लगभग 55 से 70 करोड़ रुपये खर्च होते थे।
इस निर्णय पर सभी की नजरें हैं, और इससे जुड़े सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए आगे की प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता के साथ किया जाएगा।
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