रायपुर: छत्तीसगढ़ में बढ़ते धर्मांतरण विवादों को देखते हुए सरकार अब सख्त कदम उठाने की तैयारी कर रही है। धर्मांतरण की प्रक्रिया को नियंत्रित करने और इसे रोकने के लिए नया कानून बनाने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए कानूनी ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है।
धर्मांतरण के खिलाफ कानून की जरूरत क्यों?
- विवाद और शिकायतें: पिछले 11 महीनों में राज्य में धर्मांतरण के खिलाफ 13 एफआईआर दर्ज की गई हैं।
- आत्महत्या के मामले: धर्मांतरण के दबाव और विवादों से परेशान होकर दो युवकों ने आत्महत्या कर ली।
- प्रभावित क्षेत्र: विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्र, जैसे बस्तर, जशपुर और रायगढ़, में धर्मांतरण के कई मामले सामने आए हैं।
क्या होगा नए कानून में?
- सख्त प्रक्रिया: धर्मांतरण के लिए एक निश्चित प्रक्रिया तय की जाएगी, ताकि किसी भी व्यक्ति पर दबाव डालकर धर्म परिवर्तन न कराया जा सके।
- सख्त कार्रवाई: कानून का उल्लंघन करने पर सख्त सजा का प्रावधान होगा।
- पारदर्शिता: धर्मांतरण से संबंधित सभी प्रक्रियाओं को पारदर्शी और सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा।
सरकार की मंशा
राज्य सरकार का मानना है कि धर्मांतरण के मामलों में नियंत्रण के लिए एक सख्त और स्पष्ट कानून जरूरी है। इससे न केवल विवादों को रोका जा सकेगा, बल्कि आदिवासी क्षेत्रों में सांप्रदायिक सौहार्द भी बनाए रखा जा सकेगा।
आदिवासी क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित
बस्तर, जशपुर और रायगढ़ जैसे आदिवासी बहुल इलाकों में धर्मांतरण के कई बड़े मामले सामने आए हैं। इन क्षेत्रों में धर्मांतरण के कारण समाज में तनाव और विवाद की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
क्या कहते हैं आंकड़े?
- पिछले एक साल में धर्मांतरण के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है।
- आदिवासी और गरीब वर्ग के लोगों को धर्मांतरण के लिए विशेष रूप से निशाना बनाया जा रहा है।
सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
धर्मांतरण के कारण न केवल सामाजिक तनाव बढ़ रहा है, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक विविधता और परंपराओं पर भी असर पड़ रहा है।
सरकार का यह कदम राज्य में शांति और सामाजिक संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। नए कानून के लागू होने के बाद, धर्मांतरण के मामलों पर अंकुश लगने की उम्मीद की जा रही है।
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