UGC Rules : विश्वविद्यालयों में शिक्षक और फैकल्टी मेंबर की नियुक्ति से जुड़े नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव होने जा रहे हैं। इस बारे में जानकारी देते हुए यूजीसी अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि नए नियमों के तहत अब बिना यूजीसी नेट और पीएचडी के भी उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षक बनना संभव होगा, हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें लागू की जाएंगी।
नए नियमों का ड्राफ्ट जारी होगा 6 जनवरी को
शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति के न्यूनतम योग्यता को लेकर यूजीसी 6 जनवरी को नए नियमों का ड्राफ्ट जारी कर सकता है, जिस पर हितधारकों से फीडबैक लिया जाएगा। ये बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत किए जाएंगे, जो शिक्षा क्षेत्र में एक नया मोड़ प्रदान करेंगे।
उद्योग पेशेवरों को मिलेगा प्रोफेसर बनने का मौका
शिक्षक नियुक्ति के नियमों में बदलाव 2018 में जारी किए गए नियमों पर आधारित होंगे। विश्वविद्यालयों में तीन तरह के शिक्षक सेवाएं प्रदान की जाएंगी, जिनमें से दो नियमित और एक अस्थायी प्रोफेसर होंगे। अस्थायी प्रोफेसर का कार्यकाल 3 साल का होगा। “प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस” के तहत उच्च शिक्षा संस्थानों में उद्योग पेशेवरों को अस्थायी प्रोफेसर के रूप में नियुक्त किया जाएगा, और इसके लिए उन्हें यूजीसी नेट या पीएचडी की आवश्यकता नहीं होगी।
शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में फ्लेक्सिबिलिटी
वर्तमान में ग्रेजुएशन, पोस्ट-ग्रेजुएट और पीएचडी डिग्री में एक ही विषय में समान शैक्षणिक पृष्ठभूमि की आवश्यकता होती है। लेकिन नए नियमों के तहत, यूजीसी नेट या पीएचडी के बिना भी विषयों से संबंधित प्रोफेसर बनने के लिए आवेदन करने की अनुमति दी जाएगी। इसके अलावा, जिन उम्मीदवारों के पास 4 वर्षीय ग्रेजुएशन और पीएचडी की डिग्री होगी, वे भी असिस्टेंट प्रोफेसर बन सकते हैं, और मास्टर्स की डिग्री की आवश्यकता नहीं होगी।
एपीआई सिस्टम पर नहीं होगा प्रमोशन
यूजीसी अब फैकल्टी मेंबर प्रमोशन से संबंधित नियमों में भी बदलाव की तैयारी कर रहा है। नए नियमों के तहत अब एपीआर सिस्टम का पालन नहीं किया जाएगा, जिससे उम्मीदवारों के लिए प्रमोशन की प्रक्रिया सरल होगी और व्यक्तिगत पैशन को बढ़ावा मिलेगा।
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